महाकालेश्वर रुद्रं, ज्योत्रिलिडग नमाम्यहम।मृत्युंजय महादेव, शंकर सुखदायक ।।
महाशिवरात्रि को लेकर भगवान शिव से जुड़ी कुछ मान्यता प्रचलित है। ऐसा माना जाता है कि इस विशेष दिन ही ब्रह्मा के रुद्र रूप में मध्यरात्रि को भगवान शंकर का अवतरण हुआ था । वहीं यह भी मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव ने तांडव कर अपना तीसरा नेत्र खोला था। इसी दिन को भगवान शिव के वीवहा से भी जोड़ा जाता है। शिवरात्रि का अत्यंत महत्व है, इसीलिए इसे महाशिवरात्रि कहा जाता है। वस्ताव में महाशिवरात्रि भगवान भोलेनाथ की आराधना का ही पर्व है, जब भक्त जन लोग महादेव का विधि - विधान के साथ पूजा अर्चना करते है और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते है। इसी दिन शिव मंदिरों में बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ती है, जो शिव के दर्शन - पूजन कर अपने आप को सौभाग्यशाली मानते है।
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महाशिवरात्रि के दिन शिव जी का विभिन्न पवित्र वस्तुओ से पूजन एवं अभिषेक किया जाता है। बेलपत्र, धतूरा, अबीर, गुलाल, बेर, उम्बी एवं गन्ने के रस से शिवलिंग पर अभिषेक , दूध से अभिषेक, गंगाजल से अभिषेक भी किया जाता है। भगवान शिव को भांग बहुत प्रिय है अतः कई लोग उन्हें भांग भी चढ़ते है। महाशिरात्रि के दिन भक्त गण श्रद्धा से उपवास रखकर पूजन करने के बाद शाम के समय फलहर कर अपने आप को धन्य मानते है।
कशिवास निवासिनाम, काल भैरव पुजनम।
कोटि कन्या महादानम, बिल्व पत्र शिवार्पणम्।।
दर्शनं बिल्वपत्रस्य, स्पर्शनं पापनाशनम्।
आघोर पाप संहारं, बिल्वपत्रं शिवार्पणम्॥
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