myjyotish

6386786122

   whatsapp

6386786122

Whatsup
  • Login

  • Cart

  • wallet

    Wallet

विज्ञापन
विज्ञापन
Home ›   Blogs Hindi ›   Mahashivratri 2020- Shivaratri and its importance

महाशिवरात्रि 2020- जानिए कब है शिवरात्रि, क्या है इसका महत्व और व्रत का समय

Sneha SinghSneha Singh Updated 10 Feb 2020 02:57 PM IST
Mahashivratri 2020-  Shivaratri and its importance
विज्ञापन
विज्ञापन
महाशिवरात्रि देवों के देव महादेव का सबसे प्रिय दिन है। साल में 12 शिवरात्रि आती हैं लेकिन फाल्गुन माह में पड़ने वाली शिवरात्रि को सबसे बड़ी शिवरात्रि माना गया है। इसलिए इसे महाशिवरात्रि कहा जाता है। हिंदू धर्म में शिवरात्रि के त्योहार को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। भक्त पूरे उत्साह और जोश के साथ इस पर्व को मनाते हैं। और विधि पूर्वक व्रत व पूजन करके भोले को मनाते हैं। इस दिन शिव की प्रिय वस्तुओं जैसे भांग धतूरा आदि से भगवान भोलेनाथ को भोग लगाया जाता है। आध्यात्मिक शक्तियां जागृत करने के लिए भी इस महाशिवरात्रि को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। इस दिन शुभ मुहू्र्त को ध्यान में रखकर पूजा करनी चाहिए। इस दिन शिव-पार्वती का सयुंक्त रूप से पूजन करने पर दोनों की कृपा प्राप्त होती है।

 

क्यों मनाई जाती है शिवरात्रि -
वैसे तो कई शिवरात्रि के विषय में कई कथाएं प्रचलित हैं लेकिन सबसे ज्यादा मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इसी दिन के बाद भोलेनाथ ने वैरागी जीवन को त्याग कर गृहस्थ जीवन की शुरुआत की थी। शिवरात्रि को शिव और शक्ति यानी (माता पार्वती) के मिलन की रात्रि माना जाता है, इस कारण रात्रि के चारो प्रहर की गई पूजा को पूर्ण पूजा कहा जाता है। कहते है कि इस दिन व्रत रखने से विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं, और मनचाहा जीवन साथी मिलता है। इसलिए जिनका विवाह न हो रहा हो तो वह शिवरात्रि के दिन शिव-पार्वती की आराधना अवश्य करें। उन पर भोले नाथ अवश्य कृपा करते हैं। यह व्रत बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक सभी कर सकते हैं।
 
शिवरात्रि के पूजन की विधि -
 
शिवरात्रि का पर्व चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। लेकिन त्रयोदशी तिथि को व्रत करने का संकल्प करना चाहिेए। फिर चतुर्दशी यानि शिवरात्रि के दिन नित्तकर्मों से निवृत्त होकर स्नान करके पूजन करना चाहिए, तथा निराहार व्रत करना चाहिए। शिवरात्रि को रात्रि में चारो प्रहर में चार बार शिव की पूजा करने का प्रावधान है। शिव को पंचामृत से स्नान कराते हुए ऊं नमः शिवाय मंत्र का उच्चारण करना चाहिए। इस दिन शिवलिंग पर गंगा जल जरूर चढ़ाना चाहिए। शिवरात्रि के अगले दिन प्रातः काल ब्राहम्णों को दान देने के बाद व्रत का पारण करना चाहिए। पूजा कुशा के आसन पर बैठकर करें। पूजा करने के बाद क्षमा मंत्र जरूर पढ़ना चाहिए। इसमें पूजा के दौरान हुई त्रुटियों के लिए क्षमा मांगी जाती है।
 
शिवरात्रि तिथि और व्रत का समय -
इस बार शिवरात्रि 21 फरवरी को मनाई जाएगी।
व्रत का समय- प्रातः काल से लेकर रात्रि के चारों प्रहर तक
 
पूजा करते समय क्या चढ़ाना चाहिए
धतूरा, भांग, बेर, पुष्प, पंचमेवा, पंचामृत, गंगाजल, गन्ने का रस, कपूर, धूप-दीप माता पार्वती और भगवान शिव का श्रृंगार का सामान। आदि सभी चीजें शिवरात्रि को अर्पित करनी चाहिए। पूजा के समय शिव के मंत्र का सच्चे मन से जाप करना चाहिए।
 
प्रत्येक व्यक्ति यही चाहता है कि  उसका जीवन वैभव और धन सम्पदा से परिपूर्ण हो | यदि आप भी चाहते हैं की आपकी आर्थिक स्थिति रहे  मजबूत  तो  महाशिवरात्रि पर ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग में कराएं रूद्राभिषेक
 
  • 100% Authentic
  • Payment Protection
  • Privacy Protection
  • Help & Support
विज्ञापन
विज्ञापन


फ्री टूल्स

विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन

Disclaimer

अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms and Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।

Agree
X