myjyotish

6386786122

   whatsapp

6386786122

Whatsup
  • Login

  • Cart

  • wallet

    Wallet

विज्ञापन
विज्ञापन
Home ›   Blogs Hindi ›   mahant-narendra-giri-president-of-akhil-bharatiya-akhara-parishad-death-reasons

जानिए क्या है अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का इतिहास, कैसे हुई इसके अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी की मौत

My jyotish expert Updated 22 Sep 2021 05:46 PM IST
Mahant narendra giri
Mahant narendra giri - फोटो : google
विज्ञापन
विज्ञापन
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद’ के अध्यक्ष तथा निरंजनी अखाड़ा के सचिव ‘महंत नरेन्द्र गिरि’ (58) का 20 सितम्बर शाम को प्रयागराज में संदिग्धावस्था में देहांत हो गया। जाहिर तौर साधु संतों की नुमाइंदगी करने वाले अखाड़ा को लेकर हर किसी के मन में कई सवाल उठ रहें हैं यह अखाड़ा होते किया हैं। इसका इतिहास किया है , और यह काम कैसे करता हैं ,तथा इसके अध्यक्ष का चुनाव किस तरह किया जाता हैं। अखाड़ा. इसका सीधा सा मतलब है, एक ऐसी जगह जहां पहलवानी का शौक रखने वाले लोग दांव-पेच सीखते हैं. अखाड़े में बदन पर मिट्टी लपेटकर ताकत आजमाते हैं और दुश्मनों को पटखनी देने की नई-नई तकनीक ईजाद करते हैं. ये अखाड़े पहलवानी के काम आते हैं. बाद में कुछ ऐसे अखाड़े सामने आए, जिनमें पहलवानी के बजाय धर्म के दांव-पेच आजमाए जाने लगे. इनकी शुरुआत आदि गुरु कहे जाने वाले शंकराचार्य ने की थी.दराअसल अखाड़े की इतिहास की लेकर बात करें तो शैव, वैष्णव और उदासीन पंथ के संन्यासियों के मान्यता प्राप्त कुल 13 अखाड़े हैं. पहले आश्रमों के अखाड़ों को बेड़ा अर्थात साधुओं का जत्था कहा जाता था. गौरतलब है कि इसमें जो अखाड़ा सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त कुल 13 अखाड़े होते हैं. इन सभी अखाड़ों का संचालन लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए अध्यक्ष और सचिव करते हैं. अखाड़ा परिषद की सभा में सर्वसम्मति से अध्यक्ष को चुना जाता है।

इस पितृ पक्ष, 15 दिवसीय शक्ति समय में गया में अर्पित करें नित्य तर्पण, पितरों के आशीर्वाद से बदलेगी किस्मत : 20 सितम्बर - 6 अक्टूबर 2021

13अखाड़ो को कंट्रोल करने वाली संस्था 

इससे पहले भी आयोजित हुए कुंभ और अर्धकुंभ के अलावा दूसरे धार्मिक आयोजनों में अखाड़ों के बीच वर्चस्व की लड़ाई चलती रहती थी. इससे बचने के लिए 1954 में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की स्थापना की गई. इसके तहत कुल 13 अखाड़े शामिल हैं. इसी बैठक में सभी अखाड़ों के कुंभ और अर्धकुंभ में स्नान का वक्त और उनकी जिम्मेदारी तय कर दी गई थी, जिसे सभी अखाड़े अब भी मानते हैं.

अखाड़ों का किया हैं, इतिहास 

हिंदू धर्म में , अखाड़े  स्वरूप की बात करें तो आदि गुरु शंकराचार्य ने स्थापित किया था. देश के चार कोनों उत्तर में बद्रीनाथ, दक्षिण में रामेश्वरम, पूर्व में जगन्नाथ पुरी और पश्चिम में द्वारिका पीठ की स्थापना कर शंकराचार्य ने धर्म को स्थापित करने की कोशिश की. इसी दौरान उन्हें लगा कि जब समाज में धर्म की विरोधी शक्तियां सिर उठा रही हैं, तो सिर्फ आध्यात्मिक शक्ति के जरिए ही इन चुनौतियों का मुकाबला करना काफी नहीं है. शंकराचार्य ने जोर दिया कि युवा साधु कसरत करके शरीर को सुदृढ़ बनाएं और कुछ हथियार चलाने में भी कुशलता हासिल करें. इसके लिए ऐसे मठ स्थापित किए गए, जहां कसरत के साथ ही हथियार चलाने का प्रशिक्षण दिया जाने लगा. ऐसे ही मठों को अखाड़ा कहा जाने लगा. शंकराचार्य ने ये भी सुझाव दिया कि मठ, मंदिरों और श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए जरूरत पड़ने पर शक्ति का इस्तेमाल किया जा सकता है. इस तरह अखाड़ों का जन्म हुआ.

देश कुल इतने अखाड़े हैं। 

1.श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी, दारागंज, इलाहाबाद, यूपी
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा का जिम्मा इसी अखाड़े के पास है. यह परंपरा पिछले कई साल से चली आ रही है.
2. श्री पंच अटल अखाड़ा, चौक, वाराणसी, यूपी

3. इस अखाड़े में ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य ही दीक्षा ले सकते हैं.

4. 3. श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी, दारागंज, इलाहाबाद, यूपी

.5  यह अखाड़ा सबसे ज्यादा शिक्षित अखाड़ा है. इस अखाड़े में करीब 50 महामंडलेश्वर हैं.

6. 4. श्री तपोनिधि आनंद अखाड़ा पंचायती, त्रयंबकेश्वर, नासिक

7. यह शैव अखाड़ा है जिसमें महामंडलेश्वर नहीं होते. आचार्य का पद ही प्रमुख होता है.

8. 5. श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा, बाबा हनुमान घाट, वाराणसी

9. सबसे बड़ा अखाड़ा है. करीब 5 लाख साधु संत इससे जुड़े हैं.

10. 6. श्री पंचदशनाम आवाहन अखाड़ा, दशाश्वमेध घाट, वाराणसी, यूपी

11. अन्य अखाड़ों में महिला साध्वियों को भी दीक्षा दी जाती है लेकिन इस अखाड़े में ऐसी कोई परंपरा नहीं है.

12. 7.श्री पंचदशनाम पंच अग्नि अखाड़ा, गिरीनगर, भवनाथ, जूनागढ़, गुजरात

13. इस अखाड़े में केवल ब्रह्मचारी ब्राह्मण ही दीक्षा ले सकते है. कोई अन्य दीक्षा नहीं ले सकता है.

आसानी से देखिए अपनी जन्म कुंडली मुफ़्त में, यहाँ क्लिक करें

जीवन के संकटों से बचने हेतु जाने अपने ग्रहों की चाल, देखें जन्म कुंडली

दरिद्रता से मुक्ति के लिए ज़रूरी है अपने ग्रह-नक्षत्रों की जानकारी, देखिए अपनी जन्म कुंडली मुफ़्त में





  • 100% Authentic
  • Payment Protection
  • Privacy Protection
  • Help & Support
विज्ञापन
विज्ञापन


फ्री टूल्स

विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन

Disclaimer

अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms and Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।

Agree
X