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अमोघ शक्ति व फलदायी है माँ दुर्गा का आठवां स्वरुप महागौरी

My Jyotish Expert Updated 01 Apr 2020 09:14 PM IST
Mahagauri is the eighth form of Mother Durga with immense power and fruit
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नवरात्रि के आठवें दिन महागौरी की पूजा की जाती है। महाष्टमी के दिन देवी की आराधना करने से उनके भक्त सभी प्रकार से पवित्र व अक्षय पुण्य के अधिकारी हो जाते हैं। इस दिन महिलाएं अपने सुहाग की लम्बी उम्र के लिए माता को चुनरी भेंट करती हैं। इनके नाम से ही प्रकट होता है कि इनका रूप पूर्णतः गौर वर्ण है। इनकी तुलना शंख, चंद्र और कुंद के फूल से की गई है। नवरात्रों की पूजा में अष्टमी के दिन का बहुत महत्व है। इस दिन सुहागन महिलाएं अपने - अपने घर परिवार के सुखद जीवन की कामना लेकर माँ की उपासना करती हैं।


महागौरी की आयु मात्र आठ वर्ष की मानी गई हैं जिसके कारण इन्हे अष्टवर्षा भवेद गौरी भी कहा जाता है। इनके द्वारा धारण किए गए सभी वस्त्र व आभूषण सफ़ेद रंग के होते हैं। इसलिए इन्हे श्वेताम्बरधरा भी कहा जाता है। देवी की चार भुजाएं जिसमें इन्होने दायिनी ओर अभयमुद्रा तथा त्रिशूल धारण किया हुआ है। वही बायीं ओर इन्होंने डमरू और वरमुद्रा धारण किया हुआ है। महागौरी का वाहन वृषभ है जिसके कारण महागौरी को वृषारूढ़ा के नाम से भी जाना जाता है।

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देवी महागौरी की पूर्ण मुद्रा बहुत शांत है। इन्होंने पति रूप में शिव को प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। जिसके कारण इनका शरीर बहुत काला पड़ गया, परन्तु महादेव जब तपस्या से प्रसन्न हुए तब उन्होंने देवी के शरीर को गंगा के पवित्र जल से धोकर कांतिमय बना दिया। और इसलिए उनका रूप गौर वर्ण हो गया, जिसके कारण वह महागौरी कहलाईं। महागौरी की  पूजा -अर्चना करने से व्यक्ति का जीवन कल्याणकारी हो जाता है। इनकी कृपा से अलौकिक सिद्धियों की भी प्राप्ति होती है।
महागौरी ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठिन तप किया था, जिसके कारण जो कोई भी कुमारी व सुहागन महिलाएं देवी से सच्चे मन से इच्छाएं व्यक्त करती हैं। उनकी सभी मनोकानाएं अवश्य ही पूर्ण होती हैं। महागौरी की पूजा करने से विवाह सम्बन्धी तमाम बाधाओं का निवारण होता है। नवरात्रि के समय माँ की उपासना का अधिक महत्व होता है।

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