कुंभ एक ऐसी जगह है जहाँ किसी का भी आना माना नहीं है। कुंभ में श्रद्धा और भक्ति का वास है जिसका लाभ उठाने कोई भी आ सकता है।
खगोल पैमानों के अनुसार इस मेले का शुभारंभ मकर संक्रांति के दिन होता है। जब सूर्य और चन्द्रमा, वृश्चिक राशि में और बृहस्पति, मेष राशि में दाख़िल होते हैं। कहा जाता है कुंभ में स्नान करने से आत्मा को परमात्मा की प्राप्ति सरलता से हो जाती है।
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पौराणिक कथाओं के अनुसार ये माना जाता है कि, माँ गंगा ने धरती पर सबसे पहले कदम हरिद्वार में ही रखा था इसलिए हरिद्वार के कुंभ की महत्वत्ता और भी बढ़ जाती है। साथ ही यही पर सर्वप्रथम भगवान ब्रम्हा द्वारा उनकी पूजा की गई थी।
कुंभ एक ऐसी डोर है जो आत्मा को परमात्मा से मिलाने का काम करता है। यह एक साध्य है, साधक को ईश्वर की अनुभूति कराने का।
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