जन्माष्टमी स्पेशल : वृन्दावन बिहारी जी की पीताम्बरी पोशाक सेवा
जन्माष्टमी पूजा सामग्री (Janmashtami Puja Samagri)
- बालगोपाल के लिए झूला
- बालगोपाल की लोहे या तांबे की मूर्ति
- बांसुरी
- बालगोपाल के वस्त्र
- श्रृंगार के लिए ज्वैलरी
- बालगोपाल के झूले को सजाने के लिए फूल
- तुलसी के पत्ते
- चंदन
- कुमकुम
- अक्षत
- मिश्री
- मख्खन
- गंगाजल
- धूप बत्ती (अगरबत्ती)
- कपूर
- केसर
- सिंदूर
- सुपारी
- पान के पत्ते
- पुष्पमाला
- कमलगट्टे
- तुलसीमाला
- धनिया खड़ा
- लाल कपड़ा (आधा मीटर)
- केले के पत्ते
- शहद
- शकर,
- शुद्ध घी
- दही
- दूध
जन्माष्टमी पर बन रहा है विशेष संयोग
द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था. जन्म के समय भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र था. इसके साथ ही जन्म के समय चंद्रमा वृष राशि में गोचर कर रहा था. वर्ष 2021 में भी कुछ इसी तरह का संयोग एक बार फिर बनने जा रहा है. इस वर्ष चंद्रमा वृष राशि और रोहिणी नक्षत्र में रहेगा
जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त (Janmashtami 2021 Date and Time)
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी तिथि: - 30 अगस्त 2021
अष्टमी तिथि प्रारम्भ: - अगस्त 29, 2021 रात 11:25
अष्टमी तिथि समापन: - अगस्त 31, 2021 सुबह 01:59
रोहिणी नक्षत्र प्रारम्भ: - अगस्त 30, 2021 सुबह 06:39
रोहिणी नक्षत्र समापन - अगस्त 31, 2021 सुबह 09:44
निशित काल: - 30 अगस्त रात 11:59 से लेकर सुबह 12:44 तक
अभिजित मुहूर्त: - सुबह 11:56 से लेकर रात 12:47 तक
गोधूलि मुहूर्त: - शाम 06:32 से लेकर शाम 06:56 तक
जन्माष्टमी पूजन विधि
इस वर्ष जन्माष्टमी का पर्व सर्वार्थ सिद्धि योग में मनाई जाएगी। जन्माष्टमी के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके व्रत का संकल्प लें। माता देवकी और भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति या चित्र पालने में स्थापित करें। पूजन में देवकी,वासुदेव,बलदेव,नन्द, यशोदा आदि देवताओं के नाम जपें। रात्रि में 12 बजे के बाद श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाएं। पंचामृत से अभिषेक कराकर भगवान को नए वस्त्र अर्पित करें एवं लड्डू गोपाल को झूला झुलाएं। पंचामृत में तुलसी डालकर माखन-मिश्री व धनिये की पंजीरी का भोग लगाएं तत्पश्चात आरती करके प्रसाद को भक्तजनों में वितरित करें
कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व
सनातन धर्म में इस त्योहार का विशेष महत्व होता है। इस दिन भगवान कृष्ण के भक्त विधि विधान से उनका व्रत करते हैं। मान्यता है कि इस दिन पूरे श्रृद्धा भाव से पूजा करने से भगवान सबकी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। वहीं ज्योतिष में भी इस व्रत का खास महत्व होता है। जिन लोगों की कुंडली में चंद्रमा कमजोर होता है उनके लिए यह व्रत करना बहुत ही फायदेमंद होता है। संतान प्राप्ति के लिए यह व्रत करना बहुत अच्छा होता है। कहते हैं जो अविवाहित लड़कियां व्रत रखकर कान्हाजी को झूला झुलाती हैं, उनके विवाह के शीघ्र योग बनते हैं
क्यों रात्रि में ही मनाया जाता है कृष्ण जन्माष्टमी
भगवान श्री कृष्ण का जन्म रात्रि में हुआ था। श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण के बाल रूप की पूजा- अर्चना रात्रि में ही की जाती है।
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