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कोजागर पूजा समय
कोजागिर पूर्णिमा के इस दिन को लक्ष्मी पूजा के में उत्साह के साथ मनाया जाता है. कोजागिर पूर्णिमा 19 अक्टूबर, मंगलवार के दिन संपन्न होगी. कोजागिरी पूर्णिमा तिथि का समय 19 अक्टूबर को शाम 19:03 से 20 अक्टूबर, रात 20:26 बजे तक रहेगा. निशिता काल पूजा का समय 19 अक्टूबर, 23:46 से 20 अक्टूबर24:37 तक होगा.
हिंदू धर्म में, लक्ष्मी को समृद्धि की देवी के रूप में जाना जाता है और ऐसा माना जाता है कि 'अश्विन पूर्णिमा' के दिन, देवी सभी को समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य का लाभ प्रदान करती हैं. इस दिन देवी लक्ष्मी जी आशीर्वाद देने के लिए पृथ्वी पर अवतरित होती हैं. कोजागर पूर्णिमा के दिन को देश के कुछ हिस्सों में शरद पूर्णिमा के रूप में भी जाना जाता है. मुख्य रुप से यह मध्य भारत का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, खासकर बुडेलकांड क्षेत्र और बिहार के कुछ हिस्सों में तो इस दिन कई प्रकार के मेलों एवं झांकियों का आयोजन किया जाता है.
कोजागिरी पूजा अनुष्ठान
कोजागर पूजा के दौरान, भक्त देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं. देवी लक्ष्मी की मूर्तियों को घरों अथवा पंडालों में स्थापित किया जाता है. कोजागर पूजा से संबंधित अनेक प्रकार के विधि विधान होते हैं जो एक समुदाय से दूसरे समुदाय में भिन्न हो सकते हैं. देवी को प्रसन्न करने और उनका दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए विभिन्न प्रसाद जैसे खीर इत्यादि का भोग तैयार किया जाता है. अनेक प्रकार के मिष्ठान बनाए जाते हैं. कोजागर पूजा के दिन महिलाएं अपने घरों के सामने रंगोली बनाती हैं. देवी लक्ष्मी के चरणों को प्रतीक रुप में भी अंकित किया जाता है घर के मुख्य द्वारा एवं मंदिर में.
भक्तों का दृढ़ विश्वास है कि इस दिन, देवी लक्ष्मी हर घर में जाती हैं और समृद्धि और सौभाग्य का आशीर्वाद देती हैं. इसलिए रात में पूजा एवं जागरण कार्य होता है. भक्त पूरी रात जागते रहते हैं और देवी लक्ष्मी की स्तुति में भजन और कीर्तन गाते हुए अपना समय व्यतीत करते हैं. कोजागर पूजा की रात को घरों को रोशनी से रोशन किया जाता है. इस दिन देवी लक्ष्मी को समर्पित मंत्रों और स्तोत्रों का जाप भी अत्यधिक फलदायी माना जाता है. महिलाएं भी कोजागिरी पूजा के दौरान व्रत रखती हैं तथा पूजा पूर्ण करने के बाद मां लक्ष्मी को भोग अर्पित किया हाता है और व्रत संपूर्ण किया जाता है.
कोजागरी पूर्णिमा और लक्ष्मी पूजा का महत्व
कोजागिरी पूजा देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए मनाई जाती है. इसे जागृति काल माना जाता है क्योंकि धन की देवी लक्ष्मी अपने भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए पृथ्वी पर आती हैं, देवी लक्ष्मी धन और समृद्धि की देवी हैं. इस उत्सव को कुछ स्थानों पर कृषि उत्सव के रुप में भी मनाया जाता है.
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