जिन लोगों ने उच्च पद प्रतिष्ठा को पाया है उनकी जन्म कुंडली में अच्छे ग्रहों का योगदान रहा है जातक की जन्मकुंडली में मान प्रतिष्ठा पाने के लिए कुंडली के लग्न भाव प्रथम भाव चतुर्थ भाव सुख भाव पंचम भाव शिक्षा बुदि भाव और नवम भाव भाग्य भाव के साथ दशम भाव कर्म भाव केरियर भाव और एकादश भाव पर विचार करते हैं साथ ही अष्टम भाव को देखा जाता है ।
जन्म कुंडली के लग्न भाव से स्वयं का विचार स्वयं का आचरण जातक के व्यक्तित्व और जातक की कार्यक्षमता के साथ उसकी शक्ति उसके सामर्थ्य के साथ चिंतन मनन जीवन संघर्ष और कार्य के प्रयासों में सफलता स्पष्ट बादिता मान सम्मान प्रतिष्ठा और संपन्नता को देखा जाता है कुल मिलाकर जातक की पर्सनैलिटी के ऊपर लग्न भाव प्रथम भाव तनु भाव से विचार किया जाता है ।
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कुंडली का चतुर्थ सुख का भाव है । मन माता के साथ सुख वैभव और पब्लिक या जनता का भाव है ।आपका व्यक्तित्व जनता के समक्ष किस प्रकार का है ।
आपकी निजी गतिविधियां किस प्रकार की है जिससे जनता के समक्ष आप की अच्छी छवि उभर कर आनी चाहिए ।
जन्म कुंडली का पंचम भाव शिक्षा संतान आपकी बुद्धि विवेक ज्ञान भक्ति मंत्रणा शक्ति और आपकी बुद्धि स्तर का विचार किया जाता है जोकि मान प्रतिष्ठा के लिए बहुत जरूरी है ।
जन्म कुंडली का नवम भाव भाग्य भाव है जो जातक के भाग्य का ज्ञान कराता है जातक कितना भाग्यशाली है उसको भाग्य का कितना साथ मिल रहा है साथ ही जातक के धर्म और अध्यात्म और उसके मन की पवित्रता उत्तम व्यवहार का ज्ञान कराता है साथ ही जातक की उच्च शिक्षा और विदेश और विदेश यात्राओं के संबंध का ज्ञान कराता है ।
कुंडली का दशम भाव कर्म भाव कैरियर भाव आपके मान सम्मान प्रसिद्धि के साथ सत्ता पद प्रतिष्ठा और सफलता नाम रुतबा और आपके अधिकार के साथ आपकी महत्वकांक्षाओ का ज्ञान कराता है और आपको प्राप्त जिम्मेदारियों को बताता है कुल मिलाकर दशम भाव आपकी हैसियत को बताता है ।
जन्म कुंडली का एकादश भाव इलेवंथ हाउस को आय और लाभ भाव भी कहते हैं ।
कुंडली का एकादश भाव के द्वारा मित्रों का सहयोग समाज का सहयोग प्रशंसकों का सहयोग सहायकों सलाहकारों का सहयोग समर्थकों का सहयोग और शुभ चिंतकों का सहयोग के साथ हमारी आशाएं इच्छाएं आकांक्षाएं और उनकी पूर्ति का भाव है ।
साथ ही एकादश भाव हमारे कार्यों में सफलता के साथ चुनाव और मुकदमों में सफलता को बताता है ।
पदोन्नति के साथ मंत्री पद विधायक सांसद लोकसभा नगर पालिका जिला बोर्ड पंचायत सरकारी नीतियां और योजनाएं कंपनी , मंडली, परिषद , संघ और सेवकों को नियंत्रण करने वाली समितियां मैं भागीदारी को बताता है ।
जन्म कुंडली का अष्टम भाव आपके यश और अपयश के साथ आपके गुप्त ज्ञान और कार्यक्षेत्र में गुप्त कूटनीति की जानकारी देता है साथ ही आरोप-प्रत्यारोप और आपकी बदनामी नाम खराब के बारे में बताता है और जीवन में आकाशमिक परिवर्तन को बताता है साथ ही गूढ़ ज्ञान गुप्त ज्ञान और षड्यंत्र पूर्वक कार्य करने की क्षमताओं के बारे में भी बताता है ।
पद प्रतिष्ठा और मान-सम्मान प्राप्त करने के लिए जन्म कुंडली में भावों के अलावा ग्रहों की बात करते हैं जिसमें सूर्य ग्रह बुध ग्रह और देव गुरु बृहस्पति के साथ चंद्र और शुक्र ग्रह का बली होना अति आवश्यक है ।
अब हम मान प्रतिष्ठा के लिए कुंडली के भाव और ग्रहों को जोड़कर देखते हैं ।
कुंडली के नवम भाव का राशि स्वामी लॉर्ड उच्च या स्वराशि का होकर चतुर्थ भाव में स्थित हो अथवा चतुर्थ भाव का राशि स्वामी लॉर्ड नवम भाव में बली होकर विराजमान होने पर जातक को राज्य पक्ष से जनता के बीच में मान सम्मान और पद प्रतिष्ठा प्राप्त होती है जातक की यश कीर्ति फैलती है उसका नाम होता है उसके नाम का रुतबा बढ़ता है।
जन्म कुंडली के नवम भाव में स्थित देव गुरु बृहस्पति उच्च राशि का या स्वयं की राशि धनु या मीन का होने पर जातक संत महात्मा धार्मिक गुरु या महामंडलेश्वर अथवा प्रवचन कर्ता बनकर मान प्रतिष्ठा को प्राप्त करता है ।
जन्म कुंडली में लग्नेश लग्न का स्वामी और चंद्रमा जिस राशि में हो वह आपस में मित्रों और लगन को कोई बली ग्रह देखता हो तब जातक अपने व्यक्तित्व के प्रभाव से मान प्रतिष्ठा को प्राप्त करता है ।
दशम भाव का राशि स्वामी लॉर्ड गुरु ग्रह के साथ ही थी बनाकर केंद्र या त्रिकोण भाव में स्थित होने पर जातक अपने कर्म के माध्यम से प्रसिद्धि और पद प्रतिष्ठा को पाता है ।
लग्न भाव पर राशि स्वामी लॉर्ड और पंचम भाव का राशि स्वामी नवम भाव में स्थित होने पर जातक शिक्षा के क्षेत्र में उच्च पद प्राप्त करता है जिस प्रकार प्रोफेसर व्याख्याता लेक्चरर अध्यापक आदि के पदों पर मध्य प्रतिष्ठा पाकर अपनी प्रसिद्धि को प्राप्त करता है और गौरव प्राप्त करता है ।
पंचम भाव का राशि स्वामी लॉर्ड लग्न भाव स्थित होने पर और शुभ ग्रह से दृष्ट हो तब ऐसा जातक अपने बुद्धि और विवेक के माध्यम से पद प्रतिष्ठा प्राप्त करता है और अपने नाम की यश कीर्ति फैलाता है ।
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जन्म कुंडली में शुक्र ग्रह और मंगल ग्रह युति बनाकर वृश्चिक राशि में नहीं होना चाहिए शुक्र शनि की युति शुक्र राहु की युति सप्तम भाव या सप्तम भाव के राशि स्वामी लॉर्ड के साथ नहीं होना चाहिए अन्यथा जातक के मान-सम्मान पर कलंक लगता है बदनामी का भय रहता है जो पद प्रतिष्ठा मान-सम्मान को गिराने का कार्य करता है ।
जन्म कुंडली में गजकेसरी योग पंच महापुरुष योग में से हंस योग शश योग रोचक योग मालव्य योग भद्र योग जातक को मान सम्मान पद प्रतिष्ठा को दिलाते हैं साथ ही जातक के यश कीर्ति की बढ़ाते है।
आज के इस प्रतिस्पर्धा के युग में हर व्यक्ति आगे बढ़ना चाहता है एक दूसरे से आगे निकल जाना चाहता है हर एक को अपने नाम का रुतबा हो अच्छा लगता है लोगों के बीच मान-सम्मान हो अपनी एक अलग पहचान हो ऐसी ख्वाहिशें हर एक व्यक्ति के मन में होती हैं लेकिन जन्म कुंडली में ग्रहों का साथ भाग्य का साथ जिसे मिल जाता है वही आगे बढ़कर पद प्रतिष्ठा और मान-सम्मान यश कीर्ति और अपने नाम को बनाता है बना पाता है।
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