इन दिनों में व्रत उपवास को लेकर नियमों का पालन संभलकर करना चाहिए यदि उसमें कोई कार्य नियम के विपरीत हुआ तो माँ रुष्ट भी हो सकती है। शास्त्रों के अनुसार इन नियमों के सही तरीके से पालन करने पर माँ अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती है तथा सदैव अपनी कृपा उनपर बनाए रखती है।
इन दिनों में कन्या पूजा किया जाता है जिससे लोग पुण्य प्राप्ति करते हैं। शास्त्रों में भी कहा गया है की जिस स्थान पर स्त्रियों का सम्मान न किया जाता हो वहा देवताओं का वास नहीं होता है।
नवरात्रों में माता चिंतपुर्णी में कराएं दुर्गा सप्तशती का पाठ मां हरेंगी हर चिंता
यदि आपने अपने घर में अखंड ज्योत या माता की चौकी की स्थापना की है तो ऐसे समय में घर को खाली नहीं छोड़ना चाहिए। अर्थात किसी न किसी को इस समय घर में अवश्य ही होना चाहिए। नवरात्रि के समय दिन में सोने की भी मनाही होती है। व्रतधारी से कलह नहीं करना चाहिए, अगर आप किसी भी व्यक्ति से लड़ाई झगड़ा करते हैं जिसने माँ के लिए व्रत किया हो तो इससे बचे क्योंकि ऐसा करने से व्रतधारी के मन को दुःख पहुँचता है जिससे माँ भी रुष्ट हो जाती हैं।कोशिश करें की हर तरह के वाद विवाद से दूर रहें और सदैव सभी के साथ प्रेम भाव से रहें। श्रीरामचरितमानस में कहा गया है की जिस घर में कलह होता है या लोग आपस में प्रेम व सुखी भाव से नही रहते ऐसे घर में माँ लक्ष्मी का वास नहीं होता है। हमें सदैव लोगों के साथ सुख से रहना चाहिए दुःख की प्राप्ति होती है व सभी के मन आहत होते हैं।
नवरात्रि के नौ दिनों में भक्तों को सभी व्यर्थ की बातों से मन हटाकर अपना मन माँ की भक्ति में लीन रखना चाहिए। मन जितना शांत रहेगा उतनी ही एकाग्रता से पूजा में ध्यान लगेगा। इन दिनों में धार्मिक ग्रंथो का पाठ करने से मन बहुत शांत रहता है। नवरात्रि में माँ दुर्गा के पाठ व दुर्गा सप्तसती के पाठ से माँ की कृपा बनी रहती है।
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