कथन के अनुसार एक बार रावण ने घमंड में आकर सभी ग्रहों को अपना बंदी बना लिया था। उसने भगवान शनि को भी बंदीग्रह में उल्टा लटका रखा था। भाग्यवश इसी दौराण संकट मोचन हनुमान भी श्री राम के दूत बनकर लंका पहुंचे हुए थे। जब हनुमान जी ने पूर्ण लंका को जलाया तो सारें गृह आजाद हो गए। परन्तु उल्टा लटकने के कारण शनि देव के पूरे शरीर में बहुत दर्द हो रहा था। तभी हनुमान जी ने शनिदेव की तेल से मालिश की थी जिससे प्रसन्न हो कर शनिदेव ने उन्हें आशीर्वाद दिया और कहा की जो कोई भी व्यक्ति श्रद्धापूर्ण उन्हें तेल अर्पण करेगा उसकी सभी मनोकामनाएं अवश्य ही पूर्ण होंगी।
ज्योतिष के जानकार कहते है की किसी भी सफल और संपन्न मनुष्य को अपने जीवन काल में तीन बार शनि की दशा से गुजरना पड़ता है अर्थात इस काल में शनि मनुष्यों की परीक्षा लेते है। पहली बार में वह व्यक्ति के साथ खेलते है दूसरी बार में वह मनुष्य के जीवन में भूचाल ला देते है और तीसरे बार में उसका सारा धन नष्ट कर देतें है। यदि आप इन सभी दशाओं से बचना चाहतें है तो नियमित रूप से शनिदेव को प्रसन्न करते रहे। विधिवत पूजा करनी चाहिए तेल अभिषेक करना चाहिए शनिवार के दिन दान -पुण्य भी करने चाहिए।
शनिवार का दिन शनिदेव की पूजा के लिए शुभ माना जाता है। इस दिन पूजा करने से शनिदेव के अशुभ प्रभाव काम हो जातें है। इस दिन उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए विभिन्न प्रकार की पूजा -अर्चना करनी चाहिए। इनकी पूजा में नियमों का पूर्णता से ध्यान रखना चाहिए क्यूंकि कोई भी गलती मनुष्य पर बहुत भरी पड़ सकती है। सच्चे मन से ईश्वर से आराधना करने से सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है एवं जीवम के सभी कष्टों का नाश होता है।
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