नवरात्रि के दिन घरों में माँ दुर्गा और श्री राम की पूजा की जाती है। नवरात्रि का समापन कन्याओं को हलवा पूरी का भोग खिलाकर किया जाता है। वही राम नवमी के दिन लोग गंगा में स्नान करने भी जाते हैं। इस दिन अयोध्या में चैत्र राम मेला का आयोजन किया जाता है। इस मेले में देश भर से भारी भीड़ उमड़ती है। इस दिन लोग अपने घरों व मंदिरों में रामचरितमानस का पाठ भी करते है। कथन के अनुसार लंकापति रावण से युद्ध के पहले भगवान श्री राम माँ दुर्गा की उपासना की थी इसलिए नवरात्रि का पर्व बहुत महत्वपूर्ण माना गया है।
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रामनवमी की कहानी स्वयं लंकापति रावण से जुड़ी हुई है। भगवान विष्णु के अवतार से रावण अमर हो चुका था जिसके कारण वह अन्य सभी प्राणियों के लिए संकट बनता जा रहा था। उसकी क्रूरता व अत्याचारों से सभी परेशान थे। इन कष्टों का निवारण करने के लिए भगवान विष्णु ने अयोध्या के राजा दशरथ की पहली रानी कौशल्या की कोख से चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी को जन्म लिया। तत्पश्चात उनकी जन्म तिथि राम नवमी के उत्सव के रूप में मनाई जाती है।
इस दिन जो कोई भी सच्चे मन से प्रभु श्री राम के समक्ष अपनी इच्छाएं व्यक्त करता है उसकी सभी मनोकामनाएं अवश्य ही पूर्ण होती हैं। लोग भगवान श्री राम का स्मरणकर व्रत और उपवास रखते हैं। मंदिरों व घरों में राम जी के भजन किए जाता है। भगवान श्री राम अपने भक्तों के सभी दुःख हर लेते हैं तथा उनकी सभी गलतियों को भी माफ़ कर देते हैं।
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