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Home ›   Blogs Hindi ›   Know which mother is worshiped in the form of a widow, what is the secret behind it

जानें कौन सी माता की होती है विधवा स्वरूप में पूजा क्या है इसके पीछे का रहस्य

my jyotish expert Updated 12 Jun 2021 10:37 PM IST
माता धूमावती
माता धूमावती - फोटो : google
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हिन्दू धर्म में भगवान शिव, गणेश और शनि देव के अलावा माता दुर्गा के रूपों की भी पूजा होती है ।पर क्या आप जानते हिन्दू धर्म में एक ऐसी भी माता है। जिनके विधवा स्वरूप की पूजा की जाती है।
जानने के लिए पढ़े इसे आगे
क्या है इसके पीछे का रहस्य जिससे आप है अनजान

माता धूमावती एक ऐसी ही देवी है। जिनके विधवा स्वरूप की पूजा की जाती है ।जिनका स्वरूप बहुत ही उग्र होता है वे महाप्रलय के दौरान भी मौजूद रहती है। जब पूरा ब्रह्मांड नष्ट हो जाता है काल का अंत हो जाता है और स्वयं महाकाल भी अंतर्धान हो जाते है। चारों तरफ केवल धुंआ और राख नजर आता है। तब माता वहाँ अकेली ही विराजमान होती है। आपको बता दे कि भगवान शिव  के द्वारा प्रकट की गईं 10 महाविद्याओं में से सातवीं महाविद्या को मां धूमावती के नाम से जाना जाता है।   जिनका प्रत्येक साल  ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को इनका प्राकट्य दिवस भी होता है ।  बता दे कि इस साल धूमावती जयंती 18 जून को पड़ रही है  । मां धूमावती को विधवा स्वरूप में पूजा जाता है  ।कौए पर सवार मां धूमावती श्वेत वस्त्र धारण करती हैं और इनके केश हमेशा खुले रहते हैं ।

ऐसी मान्यता है कि मां धूमावती का स्वरूप इतना उग्र है कि वे महाप्रलय के दौरान भी मौजूद रहती हैं ।  जब पूरा ब्रह्मांड नष्ट हो जाता है, काल समाप्त हो जाता है और स्वयं महाकाल भी अंतर्धान हो जाते हैं, चारोंं तरफ राख और धुआं ही नजर आता है, तब भी मां धूमावती वहां अकेली ही मौजूद रहती हैं ।  इन्हें मां पार्वती का उग्र रूप कहा जाता है।   गुप्त नवरात्रि में माता की विशेष रूप से पूजा होती है ।  मां धूमावती की पूजा विपत्ति से छुटकारा पाने, रोग नाश करने, युद्ध में विजय प्राप्त करने के लिए की जाती है।  माना जाता है कि माता धूमावती की कृपा जिस पर हो जाए उस व्यक्ति के जीवन में किसी चीज की कमी नहीं रहती, लेकिन अगर मां कुपित हो जाएं तो व्यक्ति का जीवन तबाह हो सकता है  ।जानिए मां धूमावती की पूजा से जुड़ी जानकारी ।


किसलिए की जाती है उनके विधवा के रूप में पूजा जानें

पौराणिक कथा के अनुसार एक बार कैलाश पर्वत पर माता पार्वती को भूख लगी तो उन्होंने महादेव से कुछ खाने की इच्छा प्रकट की।  लेकिन महादेव समाधि में लीन थे. उन्होंने महादेव से कई बार अनुरोध किया लेकिन महादेव की समाधि नहीं टूटी । इस बीच माता की भूख अनियंत्रित हो गई और वे व्याकुल हो गईं।  भूख से बेचैन होकर उन्होंने शिव को ही निगल लिया।  लेकिन शिव जी के कंठ में विष होने की वजह से माता के शरीर में जहर पहुंच गया और उनके शरीर से धुआं निकलने लगा और उनका रूप अत्यंत भयंकर हो गया । तब महादेव ने उनसे कहा आज से तुम्हारे इस रूप को धूमावती के नाम से जाना जाएगा । लेकिन तुम्हें ये रूप पति को निगलने के बाद मिला है, इसलिए तुम्हारे इस रूप को विधवा के तौर पर पूजा जाएगा।

कैसे करे पूजा जानें

1.धूमावती जयंती के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि करें ।
2.इसके बाद पूजा के स्थान को गंगाजल से पवित्र करें. इसके बाद माता की तस्वीर सामने रखकर उन्हें जल, पुष्प, सिन्दूर, कुमकुम, अक्षत, फल, धूप, दीप और नैवैद्य अर्पित करें ।
3इसके बाद मां धूमावती के प्राकट्य की कथा पढ़ें या सुनें. माता के मंत्र का जाप करें ।
4 अंत में माता से अपनी अनजाने में हुई भूल के लिए क्षमा मांगे और उनसे घर के संकट दूर करने की प्रार्थना करें ।

इन मंत्रों का करें जाप
ॐ धूं धूं धूमावत्यै फट्

धूम्रा मतिव सतिव पूर्णात सा सायुग्मे

सौभाग्यदात्री सदैव करुणामयि:

धूं धूं धूमावती ठ: ठ:
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