मान्यताएं है कि शनिवार भगवान भैरव का भी है। कई लोग अपने जीवन की समस्त समस्याएं से मुक्ति पाने के लिए शनिवार को व्रत और मंदिरों में विधि-विधान के साथ पूजा करते है। कहा जाता है कि जिस मनुष्य पर भगवान शनि की कृपा होती है तो वहीं अपने जीवन में कभी भी दुख नहीं देखता, बल्कि वह जिंदगी में राजपूत या राजसुख पाता है।
तो आइए जानते है आज शनि भगवान के बारे में कुछ विशेष बातें।
शनि देव वाहन-
शनिदेव भगवान के वाहन के बारे में तो आप सब जानते ही होंगे। हंस को शनि का वाहन कहा जाता है। कहते है कि शनि देव को हंस अति प्रिय हैं। अगर ज्योतिष शास्त्रों की मानें तो हंस को बुद्धि, परिश्रम और सौभाग्य माना जाता है और कौआ को भी शनिदेव का वाहन मानते है। कौआ को रोटी खिलाने से शनिदेव अपने भक्तों से जल्दी प्रसन्न होते है।
मान्यता है कि शनि भगवान के वाहन का कभी भी अपमान नहीं करना चाहिए।
शनि देव परिवार
स्कंद पुराण में शनिदेव के जन्म की कथा का वर्णन विस्तार से किया गया है। शनिदेव को भगवान सूर्य और उनकी पत्नी छाया की संतान कहा जाता है। यह भी कहा गया है कि शनिदेव छाया के पुत्र होने के कारण काले पैदा हुए थे। मनु और भद्रा भी छाया की संतान है, लेकिन इस के आलावा मनु, यमराज और यमुना को भी शनिदेव के भाई-बहन कहा जाता है लेकिन ये सूर्य देव की दूसरी पत्नी संतान मानी जाती है।
कहा जाता है कि संज्ञा को की सूर्य देव की पत्नी है,वो सूर्य भगवान का तेज सह नहीं कर पा रही थी जिस कारण से संज्ञा ने आपने ही ताप से अपनी जैसी महिला का निर्माण किया जिसका नाम संवर्णा (छाया) था। अपनी सारी जिम्मेदारी और सूर्य देव भगवान को बिना कुछ बताए चली गई थी।
शनि देव विवाह कथा-
हिंदू धर्म के ब्रह्म पुराण के अनुसार, कहा जाता है कि शनि देव भगवान बचपन से ही भगवान श्रीकृष्ण के बढ़े भक्त थे। जैसे जैसे शनिदेव बड़े होते गए उनकी भक्ती श्रीकृष्ण के लिए और भी बढ़ती चली गई और इसी के साथ शनिदेव का विवाह चित्ररथ की कन्या से किया गया। नकी पत्नी सती-साध्वी और परम तेजस्विनी थीं। माना जाता है कि शनिदेव के 8 पत्नियां है।
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यहीं भी मान्यता है कि शनिवार के दिन उनकी पत्नियों का नाम जाप करने से भक्तों के कष्ट दूर हो जाता है तो
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