myjyotish

6386786122

   whatsapp

6386786122

Whatsup
  • Login

  • Cart

  • wallet

    Wallet

विज्ञापन
विज्ञापन
Home ›   Blogs Hindi ›   Lohri festival :Know the special things about Lohari

जानिए लोहड़ी पर्व की खास बातें और इससे जुड़ी कहानी

Anurag VatsAnurag Vats Updated 13 Jan 2020 03:52 PM IST
Lohri festival :Know the special things about Lohari
विज्ञापन
विज्ञापन
लोहड़ी के त्योहार का हमारे देश में विशेष महत्व है। यह पंजाब के साथ-साथ पूरे उत्तर भारत में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। लोहड़ी का यह पर्व हर साल मकर संक्राति के एक दिन पहले आता है। लोहड़ी के पर्व को नई फसल की बुवाई या कटाई आने पर इसे खुशियों के साथ मनाया जाता है। इस साल लोहड़ी 13 जनवरी को है। जबकि इसके दो दिन बाद पूरे देश में मकर संक्राति का पर्व मनाया जाएगा। लोहड़ी के दिन आग जलाकर उसमें तिल, गुड़, रेवड़ी, मूंगफली और गजक चढ़ाई जाती है। इसके साथ ही सभी लोग आग के चारों और चक्कर लगाते हुए अपने खुशहाल जीवन के लिए कामना करते हैं। लोहड़ी की खास बात यह है कि इसमें संगीत और नृत्य भी किया जाता है, जिससे ये त्योहार और भी कई सारे रंगों से भर जाता है।
 
आखिर क्यों मनाते हैं लोहड़ी?
 
लोहड़ी के अवसर पर नई फसल के आने पर पंजाब में इसकी पूजा करने की परंपरा है। इसके अलावा देश के कई हिस्सों में लोहड़ी पर्व का खास महत्व है। यह त्योहार पूस की आखिरी रात्रि और माघ महीने की पहली सुबह की कड़क ठंडी को कम करने के लिए मनाया जाता है। पारंपरिक तौर पर फसल की बुवाई-कटाई से जुड़ा यह एक विशेष त्योहार है।
 
‘दुल्ला भट्टी’ कहानी का क्या है महत्व?
 
इस त्योहार में लोग दुल्ला भट्टी की कहानी को सुनाते हैं। साथ ही आग के चारों और चक्कर लगाते हुए नाचते-गाते हैं। लोहड़ी के अवसर पर दुल्ला भट्टी की कहानी को सुनने का बहुत महत्व है। दरअसल इसकी एक कहानी यह है कि जब मुगल काल में अकबर महान राजा थे तब दुल्ला भट्टी पंजाब में ही रहता था। कहते हैं कि दुल्ला भट्टी ने पंजाब की बेटियों की उस समय रक्षा की थी, जब संदल बाजार में बेटियों को अमीर सौदागरों के हाथों बेचा जाता था। वहीं एक दिन दुल्ला भट्टी ने बड़ी होशियारी से इन सौदागरों के चंगुल से सभी बेटियों को छुड़वाया। फिर बाद में उनकी शादी हिन्दू लड़कों से करवाई थी। उसके बाद से ही दुल्ला भट्टी को एक नायक की उपाधि से सम्मानित किया जाने लगा। इसलिए लोहड़ी के मौके पर हर साल ये कहानी सुनाई जाने लगी।
 
कैसे उत्पन्न हुआ ‘लोहड़ी’ शब्द?
 
ऐसा माना जाता है, कि लोहड़ी  का यह शब्द ‘लोई’ यानी (संत कबीरदासजी की पत्नी) के नाम से उत्पन्न हुआ है। वहीं कई सारे लोग यह भी मानते हैं कि यह शब्द ‘तिलोड़ी’ से उत्पन्न हुआ है, जो बाद में लोहड़ी शब्द के रूप में हो गया। इसके साथ ही कुछ लोगों का मानना हे कि लोहड़ी का यह शब्द ‘लोह’ यानी चपाती बनाने के लिए प्रयुक्त एक उपकरण से उत्पन्न हुआ है।
 
 
यदि आप भी करना चाहते हैं अपने  यश, मान-सम्मान और धन में वृद्धि, तो कराएं इस मकर संक्रांति पर कोणार्क के सूर्य मंदिर में यह विशेष पूजन... ये पूजा कराएगी आपके यश और मान-सम्मान में वृद्धि।
 
 
  • 100% Authentic
  • Payment Protection
  • Privacy Protection
  • Help & Support
विज्ञापन
विज्ञापन


फ्री टूल्स

विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन

Disclaimer

अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms and Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।

Agree
X