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Home ›   Blogs Hindi ›   Know the rules, importance and worship method of Nirjala Ekadashi fasting.

जानें निर्जला एकादशी के व्रत के नियम,महत्व एंव पूजा विधि।

my jyotish expert Updated 13 Jun 2021 02:30 PM IST
निर्जला एकादशी के व्रत के नियम,महत्व एंव पूजा विधि
निर्जला एकादशी के व्रत के नियम,महत्व एंव पूजा विधि - फोटो : google
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जैसा कि आप जानते हैं कि निर्जला एकादशी के नाम से पता चल रहा है कि इसका व्रत रखने वाले पूरे व्रत के दौरान एक बूंद भी जल नहीं पीते हैं। हिंदू धर्म में निर्जला एकादशी के व्रत का सभी एकादशी में विशेष महत्व है। निर्जला एकादशी का व्रत ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। एकादशी का व्रत हर माह में दो बार किया जाता है। इस तरह से साल भर में कुल 24 एकादशी के व्रत किये जाते हैं। सभी एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित रहते हैं। शास्त्रों में इस व्रत को मोक्ष प्रदान करने वाला व्रत बताया गया है, लेकिन इस व्रत को विधि-विधान से रखने पर ही व्रत करने वाले को इसका लाभ प्राप्त होता है।

अगर आप हर महिने दो एकादशी के व्रत नहीं रख सकते हैं तो सिर्फ एक निर्जला एकादशी का व्रत रख लीजिये। मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहा जाता है। इस साल यह व्रत 21 जून, 2021 को रखा जाएगा। आइए जानते हैं इस व्रत के नियम,शुभ मुहूर्त एंव पूजा विधि के बारे में।

कैसे हुई थी इस व्रत की शुरुआत-
महाभारत काल में राजा पांडु के घर में सभी सदस्य एकादशी का व्रत रहा करते थे, लेकिन भीम को भूखा रहने में दिक्कत होती थी, वे व्रत नहीं रह पाते थे। इस बात से भीम बहुत दु:खी होते थे और उन्हें लगता था कि ऐसा करके वह भगवान विष्णु का निरादर कर रहे हैं। इस समस्या को लेकर भीम महर्षि व्यास के पास गए। तब वेदव्यासजी ने कहा, अगर आप मोक्ष पाना चाहते हैं तो एकादशी का व्रत आवश्यक है। यदि आप हर माह की दो एकादशी का व्रत नहीं रह सकते तो ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत निर्जला रहें, लेकिन इसके नियम बहुत कठिन हैं। नियमों का पूरा पालन करने से ही आपको 24 एकादशियों का पुण्य प्राप्त होगा। भीम इसके लिए तैयार हो गए और निर्जला एकादशी का व्रत रहने लगे। तभी से इस एकादशी को भीम एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।

 व्रत के नियम- 
महर्षि वेदव्यास ने भीम को बताया था एकादशी का यह उपवास निर्जल रहकर करना होता है यानि की ना पानी पीना होता है और ना ही अन्न ग्रहण करना होता है। केवल कुल्ला या आचमन करने के लिए मुख में जल डाल सकते हैं। इसके अलावा किसी भी तरह से जल व्यक्ति के मुंह में नहीं जाना चाहिए। अन्यथा व्रत खंडित हो जाता है। निर्जला एकादशी व्रत सूर्योदय से शुरू होकर अगले दिन के सूर्योदय तक चलता है। पारण करने तक जल की एक भी बूंद गले के नीचे नहीं उतारी जाती है। अगले दिन द्वादशी को सुबह में स्नान करके ब्राह्मणों को भोजन आदि कराएं। अपने अनुसार दान दे। फिर इसके बाद व्रत का पारण करें।

शुभ मुहूर्त-
निर्जला एकादशी तिथि : 21 जून, 2021

एकादशी तिथि शुरू : 20 जून को शाम 04 बजकर 21 मिनट से

एकादशी तिथि समाप्त : 21 जून दोपहर 01 बजकर 31 मिनट तक

पारण का समय : 22 जून सुबह 5 बजकर 13 मिनट से 08 बजकर 01 मिनट तक

व्रत की विधि-
1~ प्रात:काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से फुरसत होकर स्नान करें और पीले वस्त्र धारण करें।
2~ विष्णु भगवान को पीला चंदन, पीले अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, वस्त्र और दक्षिणा आदि अर्पित करें।
3~ 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:' मंत्र का जप करें।
4~  निर्जला एकादशी की कथा का पाठ करें। 
5~ एकादशी वाले खास द्वादशी के दिन पारण करने तक अन्न और जल ग्रहण न करें। 
6~ रात में जागकर भगवान का भजन और कीर्तन करें। ७~ अगले दिन ब्राह्मणों को भोजन के बाद उन्हें दान देकर सम्मानपूर्वक विदा करें। इसके बाद ही व्रत खोलें।
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