धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां गंगा की पूजा-पाठ करने से और उसकी भक्ति में लीन होने से श्रृद्धालुओं के दुर्भाग्य और रोग दूर होते है। मान्यता है कि मां गंगा को स्पर्श करने से ही लोगों पवित्र हो जाते हैं। यह पवित्र गंगा जल लोगों के प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद और रोगों के खतरे को कम करता है। अगर वास्तु शास्त्र की मानें तो मां गंगा के पवित्र जल से कई रोगों से छुटकारा पाने के बारे में बताया गया है। तो आइए आज हम आप को बताते है कि इस पवित्र जल से लोगों के रोग कैसे दूर हो सकते है।
हिंदू धर्म के अनुसार, कहा जाता है कि भगवान शिव को हर सोमवार को गंगाजल से अभिषेक करने से शिव जल्द ही अपने भक्तों से प्रसन्न होते है और हमेशा आशीर्वाद बना रहता है। गंगाजल को छूने से ही लोगों के वास्तु शुद्ध हो जाते है।
मान्यता है कि घर- मंदिर और कोई भी विशेष पूजा में अगर गंगाजल का इस्तेमाल नहीं किया गया है तो वह पूजा सफल नहीं मानी जाती है, इसलिए पूजा में हमेशा गंगाजल का प्रयोग करें और उसके बाद अपने पूरे घर में हर जगह उस गंगाजल का छिड़काव करें ऐसा करने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का वास होता है और साथ ही साथ मन को शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।
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कहते है कि गंगाजल का सेवन करने से निमोनिया, मस्तिष्क ज्वर जैसी बीमारियों से मुक्ति मिलती है। व्यक्ति की लंबी होती और साथ ही 8 से भी ज्यादा शारीरिक बीमारियां दूर होती है। गंगाजल को कभी भी गंदे हाथों से नहीं छूना चाहिए। इसे हमेशा तांबे या चांदी के बर्तन में रखना चाहिए और जहां इसे रखा जाए उसके आस-पास साफ-सफाई का विशेष तौर पर ध्यान दें क्योंकि गंगाजल को शांति और घर में सुख का प्रतीक माना जाता है। इसका प्रयोग लोगों को मरने के बाद भी सेवन कराया जाता है जिसे मोक्ष की प्राप्ति हो सकें।
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