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मान्यताओं के अनुसार यह पूजा सामान्य लोगों द्वारा नहीं की जाती है। परन्तु इस दौरान देवी के मंत्रों का जाप एवं पाठ बहुत फलदायी होता है। यह माह वर्षा का स्वागत करता है , जिसके कारण अनेकों बीमारियों का खतरा बना रहता है। परन्तु देवी की स्तुति से समस्त प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है तथा घर - परिवार में सभी का स्वास्थ भी उत्तम रहता है।
गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की आराधना की जाती है। माना जाता है की इस दौरान आराधना करने से प्रत्येक व्यक्ति की परेशानियां दूर हो जाती है। नवरात्र का पर्व वर्ष में चार बार मनाया जाता है। इन में से दो नवरात्र सामान्य लोगों द्वारा मनाया जातें है और दो केवल सिद्धि लोगों द्वारा जैसे की ऋषि एवं पंडित या जिनकी कोई विशेष पूजा करवाने की मान्यता हो , जिसे गुप्त नवरात्र के रूप में जाना जाता है।
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इस नवरात्रि में विशेष प्रकार की सिद्धि को प्राप्त करने हेतु पूजा एवं अनुष्ठान का आयोजन किया जाता है। माना जाता है की इस समय मांगी गई सभी इच्छाएं शीग्र ही पूर्ण होती है एवं पूजा का फल भी विशेष और अधिक प्राप्त होता है। गुप्त नवरात्र में खास तरह की बातें छुपी हुई है , और इस रहस्य के कारण ही इसे गुप्त रखा या कहा जाता है।
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गुप्त नवरात्रि का पर्व तंत्र साधना करने वाले व्यक्तियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है। इस दौरान दस महाविद्या अर्थात देवी तारा , त्रिपुरा सुंदरी , भुवनेश्वरी , छिन्नमस्तिका , काली , त्रिपुरा भैरवी , धूमावती , बगलामुखी ,षोडशी , मातंगी एवं कमला देवी की पूजा की जाती है। यह देविया दस दिशाओं का प्रतिनिधित्व करती है। इनकी स्तुति से समस्त जग के कष्टों से मुक्त हो कर व्यक्ति जीवन के सुखों का धैर्य से आनद लेता है। माँ कर्ज एवं धन की विभिन्न परेशानियों से अपने भक्तों को दूर कर देती है। इनकी उपासना करने वाले भक्तों को विरोधियों का कोई भय नहीं रहता है , वह सदैव अपने मार्ग में सफल होतें है। समस्त देवियों का आशीर्वाद उस पर सदैव बना रहता है।
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