वास्तुशास्त्र के अनुसार किसी भी भवन या ऑफिस के मुख्य द्वार का बहुत महत्व होता है। घर की खुशहाली के लिए परम आवश्यक है कि सबसे पहले उसके मुख्य द्वार की दिशा और दशा को बिलकुल ठीक किया जाए।
जैसे मानव शरीर में जो महत्ता हमारे मुख की है, वही महत्ता किसी भी भवन में मुख्य द्वार की होती है। इसलिए मुख्य द्वार को हमेशा अन्य द्वारों की अपेक्षा बड़ा व सुसज्जित रखा जाता है। भारतीय परम्परानुसार मुख्य द्वार को कलश, खूबसूरत बंदनवार, अशोक, केले के पत्तों अथवा ॐ, स्वास्तिक के चिन्हो से सुसज्जित करने की प्रथा चली आ रही है। हम यहाँ पर आपको मुख्य द्वार के कुछ महत्वपूर्ण वास्तु के उपायों के बारे में बता रहे है जिनको अपनाकर आप निश्चय ही अपने जीवन में सुख समृद्धि ला सकते है । * मुख्य द्वार भवन की जिस दिशा में हो उस दिशा को नौ समान भागों में बाँटकर पाँच भाग दाहिने ओर से और दो भाग बायीं ओर से छोड़कर बीच के शेष भाग में ही मुख्य द्वार बनाना शुभ रहता है । * भवन के मुख्य द्वार का आकार भवन के अन्य द्वारों की अपेक्षा बड़ा होना चाहिए । * भवन के मुख्य द्वार के लिए उत्तर या पूर्व दिशा को काफी अच्छा माना जाता है। मुख्य द्वार को यथासंभव मध्य पश्चिम या दक्षिण में नहीं बनाना चाहिए। * मुख्य द्वार चार भुजाओं की चौखट वाला बनाना चाहिए। अर्थात इसमें दहलीज भी होनी चाहिए हैं। दहलीज युक्त भवन का मुख्य द्वार अति शुभ माना जाता है । यह मान्यता है कि बिना दहलीज़ के भवन में माँ लक्ष्मी प्रवेश नहीं करती है या टिकती नहीं है और ऐसे घर के सदस्य भी संस्कारहीन हो जाते है । यह भी माना जाता है कि दहलीज वाले घर में नकारात्मक उर्जा या किसी के भी द्वारा किया गया बुरा कर्म भवन में प्रवेश नहीं कर पाता । * आपके घर के प्रवेश द्वार पर सदैव अच्छी रौशनी की व्यवस्था होनी चाहिए। जिससे कि लोग आपके घर के प्रवेश द्वार को अच्छे तरह से देख सकते हैं । प्रवेश द्वार पर कोई चमकदार रोशनी लगाये तो अति उत्तम है । * अगर आपके घर के शुरुआत में पर्याप्त जगह हो तो अपने घर में दो दरवाजे लगाएं एक दरवाजा अंदर आने के लिए और दूसरा दरवाजा बाहर जाने के लिए प्रयोग करें । माय ज्योतिष के अनुभवी ज्योतिषाचार्यों द्वारा पाएं जीवन से जुड़ी विभिन्न परेशानियों का सटीक निवारण * अगर आप दो दरवाजे बनवाते है तो एक बात का अवश्य ध्यान दें कि मुख्य प्रवेश द्वार से बाहर जाने वाला दरवाज़ा थोड़ा छोटा अवश्य ही होना चाहिए। * माना जाता है कि जिस घर की स्त्री प्रातः मुख्य द्वार खोल कर सर्वप्रथम घर की दहलीज पर जल छिड़कती है उस घर से किसी भी प्रकार की बुरी / नकारात्मक ऊर्जा दूर रहती है और ऐसे भवन में माँ लक्ष्मी का आने का मार्ग प्रशस्त होता है । * मुख्य द्वार के दोनों तरफ व ऊपर कुमकुम, रोली, केसर, हल्दी आदि को घोलकर उनसे स्वास्तिक या ॐ का शुभ चिन्ह अवश्य ही बनाएं। * यदि किसी भी भवन में एक ही मुख्य द्वार बनाना हो तो उसे पूर्व या उत्तर दिशा में ही बनाना चाहिए लेकिन यदि भवन पश्चिम या दक्षिण मुखी है तो उनमें कभी भी एक ही प्रवेश द्वार ना बनवाएं । * यदि भवन दक्षिण दिशा में हो और उसके पीछे उत्तर दिशा में दूसरा भवन हो अर्थात उत्तर दिशा बंद हो तो भवन के सामने दक्षिण दिशा में छोटा द्वार बना कर उसके बाएं अर्थात पूर्व दिशा में रिक्त स्थान देकर पूर्व दिशा की तरफ खुलने वाला बड़ा द्वार बनाये और इसे ही मुख्य द्वार का दर्जा दें अर्थात इसे ही ज्यादा उपयोग में लाएं । * यदि भवन पश्चिम दिशा में हो और उसके पीछे पूर्व दिशा में दूसरा भवन हो अर्थात पूर्व दिशा बंद हो तो भवन के सामने पश्चिम दिशा में छोटा द्वार बना कर उसके दायें अर्थात उत्तर दिशा में रिक्त स्थान देकर उत्तर दिशा की तरफ खुलने वाला बड़ा द्वार बनाये और इसे ही मुख्य द्वार का दर्जा दें अर्थात इसे ही ज्यादा उपयोग में लाएं । * मुख्य द्वार सदैव भवन के अंदर एवं घडी की दिशा में ही खुलना चाहिए । बाहर की तरफ एवं घडी की विपरीत दिशा में खुलने वाला मुख्य द्वार अशुभ माना जाता है । * ध्यान रहे की घर के मुख्य द्वार को खोलने बंद करने में किसी भी तरह की आवाज़ नहीं होनी चाहिए । * अगर एक द्वार के ऊपर दूसरा द्वार बनवाना पड़े तो ऊपर वाला द्वार नीचे वाले द्वार से छोटा एवं एक सीध में ही होना चाहिए । * घर का मुख्य द्वार और रसोई घर आमने-सामने न हो क्योंकि इससे घर के सदस्यों के बीमार होने का अंदेशा रहता है। यदि रसोई घर का स्थान परिवर्तन करना सम्भव ना हो तो उसके दरवाजे पर परदा लगा दें। * भवन के मुख्य द्वार पर 4 x 4 इन्च का ताम्र धातु में निर्मित वास्तु दोष निवारण यन्त्र अवश्य ही लगाना चाहिए., इस उपाय से यदि मुख्य द्वार या भवन में कोई भी वास्तु दोष होता है तो वह काफी हद तक कम या दूर हो जाता है । * मुख्य द्वार के वस्तु दोष को दूर करने के लिए घर के द्वार पर घंटियों की झालर लगाएं जिसमें हिलने पर आवाज हो ,इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश नहीं हो पाता है घर के लोग ऊर्जा से भरे रहते है । * फेंगशुई के अनुसार भवन के मुख्य द्वार के हैंडल पर अंदर से लाल रंग के धागे अथवा फीते में 3 ताम्बे के छेद वाले सिक्के बांधे । इससे घर में धन का आगमन होता रहता है , धन रुकता है धन की हानि नहीं होती है । यह भी पढ़े :- शिक्षा एवं विषयों का चयन शिक्षा से कैसा जुड़ा है ज्योतिष शास्त्र ? दुकान - शो रूम का वास्तु |