वैसे तो हर कोई अपने घर में सामान्य रूप से पूजा-अर्चना कर ही रहा है। परन्तु आवश्यकता है की यह पूजा अब थोड़ी व्यवस्थित रूप से की जाए अर्थात जब भी कोई तीज त्यौहार आए तो आप पूजा, आरती और ध्यान से करें। हवन करने की आवश्यकता हो तो हवन करें परन्तु उससे पहले किसी पंडित की सलाह अवश्य लें। पूजा घर के ईशान कोण में ही होनी चाहिए तथा पूजा के समय व्यक्ति का मुख पूर्व दिशा में होना चाहिए। पूजा उचित मुहूर्त देखकर ही करनी चाहिए। लेकिन दिन में 12 बजे से 4 बजे तक तथा रात्रि 12 बजे से प्रातः 3 बजे के बीच पूजा कभी न करें। यह समय पूजा के लिए अनुकूल नहीं माना जाता है।
पूजा की सामग्री के लिए कोशिश करें की घर से बाहर जाने की जरुरत न पड़ें। घर में उपयुक्त सामग्री से ही पूजा संपन्न करने की कोशिश करें। सभी दुकानें बंद होने के कारण बाहर से भोग का प्रसाद मिलना भी मुश्किल है परन्तु आप घर में भी बनाई गई मिठाई या भोग के प्रसाद से भगवान को भोग अर्पण कर सकते हैं। ऐसा करने से देव भी आपकी मेहनत देखकर वे अवश्य ही प्रसन्न होंगे। पूजन में शुद्धता और सात्विकता बहुत महत्वपूर्ण होती है। प्रातः उठकर स्नान आदिकर स्मरण करना चाहिए तथा पूजा व भजन करने चाहिए। यह सभी कर्म व्यक्ति को पुण्य का भागीदार बनता है।
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