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Home ›   Blogs Hindi ›   Know how to meet Sankat Mochan Hanuman with your Lord Shri Ram

जानिए संकट मोचन हनुमान कैसे मिले अपने प्रभु श्री राम से

My Jyotish Expert Updated 07 Apr 2020 07:51 PM IST
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1 - फोटो : My jyotish
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श्री राम अपने 14 वर्ष के वनवास के समय जब माता सीता को खोजते हुए ऋष्यमूक पर्वत पर पहुचें, वहीं पहली बार श्री राम और हनुमान जी का मिलान हुआ था। अर्थात शबरी ने श्री राम को इस पर्वत का मार्ग बताया था जिससे सुग्रीव और श्री राम मित्र हो सके। जब श्री राम पर्वत पर पहुंचे तो सुग्रीव को लगा की राम तथा लक्ष्मण उनके भाई बाली द्वारा भेजे गए योद्धा हैं जो वहां उन्हें मारने आए हैं। दूर से देखने पर भी दोनों बड़े ही बलवान दिखाई पड़ते हैं। मन में इतने प्रश्न लिए सुग्रीव हनुमान से दोनों की जांच करने को कहते हैं।


सुग्रीव की आज्ञा मान हनुमान ब्राह्मण का वेष धारणकर श्री राम और लक्ष्मण के पास पहुंचते है। वह उनसे पूछते हैं की राजा समान दिखने वाले आप दोनों ही पुरुष इस वन में नंगे पैर क्यों घूम रहे हैं। उन्होंने पूछा की आपके चरण इतने कोमल मानों स्वयं ब्रह्मा, विष्णु, महेश ही धरती पर उतर आए हों। यह सब सुनकर श्री राम चंद्र ब्राह्मण रूपी हनुमान को बताते हैं की माता सीता को राक्षस उठा ले गए हैं और वह उन्ही की खोज में उस पर्वत पर पहुंचे हैं। वह अयोध्या नरेश राजा दशरथ के पुत्र राम तथा लक्ष्मण हैं। श्री राम फिर हनुमान जी से उनका परिचय पूछते हैं।

यह सब सुनकर हनुमान जी भक्तिभाव से श्री राम के चरणों में गिर जातें है तथा विलाप करने लगते हैं। श्री राम उन्हें चरणों से उठाकर गले लगते हैं। हनुमान उन्हें बताते हैं की उनका जन्म तो श्री राम की भक्ति तथा के लिए ही हुआ है। वह श्रीराम को बताते हैं की उनका मनुष्य रूप न पहचान पाने के कारण ही वह ब्राह्मण रूप धरकर उनके समक्ष आए। तब श्री राम उनसे कहते हैं की उन्हें आत्मग्लानि की कोई जरुरत नहीं है वह तो उनके लिए लक्ष्मण से भी प्रिय है।

भगवान श्री राम ने प्रसन्न होकर हनुमान जी के मस्तक पर अपना हाथ रखकर उन्हें आशीर्वाद प्रदान किया। हनुमान जी दोनों को अपने कंधे पर बिठाकर सुग्रीव की ओर बढ़ने लगे। सुग्रीव ने हनुमान जी से कहा था की यदि कोई संकट हो तो वह उन्हें  दूर से ही इशारा करें। जब उन्होंने दोनों को हनुमान जी के कंधे पर बैठे देखा तो वह समझ गए की इनसे कोई भय नहीं है। हनुमान जी सुग्रीव से दोनों का परिचय कराते हैं। प्रभु श्री राम सुग्रीव का सारा हाल जानकर बालि पर जीत प्राप्तकर उन्हें किष्किंधा का राजा बना देते हैं। इसी प्रकार हनुमान के कारण सुग्रीव के सभी कष्ट भी दूर हो जाते हैं।

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