दर्पण वास्तुशास्त्र में काफी अहमियत रखता है। घर में दर्पण के सही दिशा होने से घर में सुख-समृद्धि दोगुणा हो जाती है। दर्पण के द्वारा आप आस-पास फैली नकारात्मक उर्जा को दूर कर सकते है। न सिर्फ भारतीय वास्तु शास्त्र में , बल्कि चाइनीज वास्तु शास्त्र में भी दर्पण को लाभकारी माना गया है। लेकिन इसके लाभ के लिए इसका सही इस्तेमाल बहुत जरूरी है , क्योंकि गलत इस्तेमाल से नुकसान होते भी देर नहीं लगती।
दर्पण की सही दिशा क्या होनी चाहिए-
वास्तु शास्त्र के मुताबिक ब्रह्मांड की पॉजीटिव एनर्जी हमेशा पूर्व से पश्चिम की तरफ और उत्तर से दक्षिण की तरफ चलती है। दर्पण को पूर्व या उत्तर की दीवार पर इस तरह लगाना चाहिए कि देखने वाले का चेहरा पूर्व या उत्तर की ओर रहे। अगर आपके घर या दफ्तर का मुंह दक्षिण-पश्चिम की ओर है , तो एक अष्टकोणीय दर्पण चौखट या दीवार पर बाहर की ओर लगा देने से उस दिशा से आने वाली नेगेटिव एनर्जी को रोका जा सकता है। व्यापारी या दुकानदार अपने कैश-बॉक्स की भीतरी दीवारों पर भी शीशों का इस्तेमाल करें , तो लक्ष्मी का आगमन होता है और बिजनेस में भी फायदा होता है।
दर्पण का आकार कैसा होना चाहिए-
ध्यान रखें घर में नुकीले और तेजधार वाले दर्पण नहीं लगाए ये काफी हानिकारक होते है। दर्पण जितना बड़ा और हल्का हो , वास्तु के हिसाब से उतना ही अच्छा माना जाता है। छोटे-छोटे शीशों को मिलाकर बड़े शिशे की तरह इस्तेमाल ना करें क्योंकि यह वास्तुशास्त्र में खड़ित माने जाते है और खड़ित शीशो को घर में रखना बेहद अशुभ माना जाता है।
दर्पण में फ्रेम का रंग कैसा होना चाहिए-
दर्पन का फ्रेम काफी अहम माना जाता है। फ्रेम का रंग कभी भी गर्म , तीखा, भड़कीला, सुर्ख लाल , गहरे नारंगी या गुलाबी रंग नहीं होना चाहिए। इसकी बजाए अगर फ्रेम नीला , हरा , सफेद , क्रीम या ऑफ व्हाइट हो तो बेहद शुभ रहता है। अगर फ्रेम कहीं से टूटी-फूटी नहीं होनी चाहिए।
घर में किस दिशा में दर्पण का प्रयोग न करें-
दर्पण को कभी भी बेड रूम में बिस्तर के ठीक सामने लगाना अशुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इससे पति-पत्नी को कई स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां झेलनी पड़ती है। घर की तिजोरी या अलमारी के सामने रखा हुआ दर्पण घर में आर्थिक स्थिति को मजबूत करता है। दर्पण अगर ड्रेसिंग-टेबल में रखा हो तो इस बात का ध्यान रखें कि उसमें बेड दिखाई ना दें। हो सके तो दर्पण को हमेशा ढ़क के रखें।
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