ऐसे सुधरेगा गणित
आर्द्रा नक्षत्र में राहु का संचरण काल 11 सितम्बर से 2019 से प्रारंभ होने के कुछ समय बाद से ही विश्व भर में इसका असर दिख रहा है। इसका प्रभाव विश्व में 22 मई 2020 तक रहेगा, लेकिन भारत के लोगों के लिए राहत की खबर है। 30 मार्च को भारत की कुंडली के भाग्य भाव यानी नवम भाव में गुरु बृहस्पति के आने से राहु ग्रह यानी कोरोना के असर से राहत महसूस होगी। इस महामारी पर जीत हासिल कर भारत सारी दुनिया के लिए आदर्श होगा।
ज्योतिष के हिसाब से कुछ यूं फैला कोरोना
राहु-शनि से प्रभावित- कोरोना वायरस का प्रभाव दिसम्बर 2019 से शरु हुआ और फरवरी 2020 तक इसने पूरी तरह जड़ें जमा लीं। राहु के साथ शनि के प्रभाव ने हवा को विषैला बनाया है। राहु का संबंध धुंआ और आसमान से है, जबकि शनि का हवा में पैदा हुए कण हैं। ऐसे में कोई भी वायरस तेजी से फैलता है। वर्तमान में राहु अपनी उच्च राशि मिथुन में गोचर कर रहे हैं, जो कि भारत की कुंडली का दूसरा और इंसान के मुख और नाक का भी दूसरा घर है। ग्रहों की स्थिति के चलते ही भारत में भी अचानक कोरोना का तेजी से फैलाव हुआ है।
विनाश के बाद निर्माण
27 नक्षत्रों में आर्द्रा नक्षत्र का भारतीय वैदिक ज्योतिष में काफी महत्व है। इस नक्षत्र के स्वामी रुद्र हैं। जब भी भगवान शिव रुद्र के रूप में परिवर्तित होते हैं तो बड़े पैमाने पर विनाश और संहार होता है। इसके बाद निर्माण की नई प्रक्रिया प्रारंभ होती है। भारत के लिए वर्ष 2020 आर्थिक तौर पर उतार-चढ़ाव भरा रहेगा पर 2021 बेहतर साबित होगा।