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चंद्र मंगल का परम मित्र है। यह मंगल के शुभ असर में वृद्धि करता है। यदि कुंडली मंगलिक है और चंद्र-मंगल की युति है तो मांगलिक दोष खत्म हो जाता है। मंगल उग्र ग्रह है और चंद्र शीतलता देता है। ऐसे में मंगल की नकारात्मक ऊर्जा को चंद्र सकारात्मक बनाता है।
मंगल-चंद्र आमने-सामने हो तो केमद्रुम योग भंग होकर लक्ष्मी योग बनता है।
इन दोनों ग्रहों में से कोई एक ग्रह स्वग्रही या उच्च का हो तो महालक्ष्मी योग बनता है। ऐसा व्यक्ति सभी सुख-सुविधाएं प्राप्त करता है। फिर यह युति कुंडली के किसी भाव में है, इस बात से कोई फर्क नहीं पडता। यह युति अच्छे भाव में हो तो शुभ फलों में कई गुना वृद्धि हो जाती है।
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मेष, वृष, कर्क, वृश्चिक और मकर राशि में मंगल-चंद्र की युति हो या आमने-सामने हो तो लक्ष्माधिपति योग बनता है।
चंद्र-मंगल की युति से कैंसर होने की संभावनाएं रहती हैं। इस योग से शुभ फल पाने के लिए चंद्रमौलेश्वर की पूजा करें। पूर्णिमा पर हनुमान मंदिर में चोला चढ़ाएं।
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