Krishna Janmashtami 2021: 30 अगस्त 2021 सोमवार के दिन इस बार श्री कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी। बाँके बिहारी के जन्मदिन के उत्सव के रूप में हर साल जन्माष्टमी का यह त्यौहार भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।
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वैसे तो पूरे विश्व में श्री कृष्ण के बचपन से जुड़ी अलग अलग प्रकार की बहुत सी कथाएं बहुत प्रचलित है। परन्तु क्या आप यह जानते है की आज के समय में भी धरती पर ऐसा एक स्थान है जहां श्री कृष्ण स्वयं आते है? जी हाँ, वह स्थान है वृन्दावन नगरी का निधिवन। यह स्थान जितना ही सुन्दर व मनोरम है उतना ही रहस्य्मयी भी। इस स्थान का कण-कण लोगों को समय समय पर श्री कृष्ण की मजूदगी का आभास कराता आया है।
मान्यताओं के अनुसार श्री कृष्ण आज भी राधा रानी के साथ यहां आधि रात को रासलीला करने आते हैं। कई लोगों का मानना है की वह रास रचकर वहीं पास में स्थित रंग महल में विश्राम करते हैं। कहा जाता है की इस महल के आस-पास स्थित बेल रात्रि के प्रहर में गोपियों का रूप धारण करती हैं और श्री कृष्णा और राधा रानी के साथ साथ नृत्य करती हैं। यह मान्यताएं ही हैं जिनके कारण यह स्थान संध्या के समय जल्दी बंद कर दिया जाता है और किसी को भी भीतर जानें की अनुमति नहीं होती है। इसे चमत्कार ही समझिए की न केवल मनुष्य बल्कि यहां घूमने वाले पशु-पक्षी भी शाम होते ही यहाँ से चले जाते हैं। भक्तों के द्वारा यहां शृंगार का सामान और भोग की वस्तुएँ चढ़ायी जाती है जो की अगली सुबह बिखरा हुआ मिलता है। मान्यता है कि वहाँ रखी गयी वस्तुओं का श्री कृष्ण और राधा रानी उपयोग करते हैं। श्री कृष्ण एवं राधा रानी के लिए महल में विशेष इंतजाम किए जाते हैं। प्रति दिन महल को साफ़ सुथरा कर के सुसज्जित किया जाता है। कहा जाता है की राधे-कृष्ण के आराम के लिए लगाया गया पलंग सुबह देखने पर ऐसा प्रतीत होता है कि मानों कोई पिछली रात वहां सोया हो।
रास के वक्त किसी भी मनुष्य का इस स्थान पर होना वर्जित है। सायं काल बाँके बिहारी और राधा रानी की आरती कर इस स्थान का पट बंद कर दिया जाता है और सुबह तक इसे बंद ही रखा जाता है। ऐसी बहुत सी घटनाओं का ज़िक्र किया जाता है जहां किसी व्यक्ति ने राधा-कृष्ण को रास रचाते देखने की कोशिश की और वो व्यक्ति अपना मानसिक संतुलन खो बैठा।
इस स्थान से जुड़ी रास के अलावा एक और विशेष मान्यता ये है कि यहां स्थित सभी पौधे जोड़े में लगे हुए हैं। कहा जाता है की यहाँ के पेड़ की शाखाएं भी एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं। कोई भी मनुष्य यहाँ स्थित पेड़ पौधों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर नहीं ले जा सकता है। कहा जाता है की आज तक जिस किसी ने भी ऐसी कोई कोशिश की है वह किसी न किसी आपदा का शिकार हो गया है। मान्यता है की यहां स्थित बांके-बिहारी जी के मंदिर में श्री कृष्ण का अभिषेक और भोग कराने से भक्तों की समस्त परेशानियाँ दूर होती हैं और सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
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