Katyayini puja vidhi
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शारदीय नवरात्रि के छठे दिन पर देवी कात्यायनी का पूजन किया जाता है. इस दिन का पूजन सौभाग्य की वृद्धि करने के साथ जीवन की शुभता के लिए भी उत्तम माना गया है. शक्ति के इस छठे स्वरूप में देवी कात्यायनी का पूजन 20 अक्टूबर 2023 के दिन किया जाएगा. देवी पूजन के साथ ही इस दिन ग्रह शांति के साथ साथ शक्ति पूजन भी होता है. इस पूजा के द्वारा भक्ति का हृदय चक्र भी जागृत होता है.
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माता के इस रूप का वर्णन भक्त ऋषि कात्यायन की कथा से प्राप्त होता है. देवी पुराण में ऋषि कात्यायन जब मां आदिशक्ति को अपनी पुत्री के रुप में पाने हेतु तप करते हैं तब माता भवानी उनकी इच्छा को पूरा करने के लिए पुत्री बनकर उनके घर में जन्म लेती हैं. ऋषि कात्यायन के नाम पर ही देवी को कात्यायनी नाम से पुकारा गया.
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नवरात्रि कात्यायनी पूजन समय
नवरात्रि की षष्ठी तिथि 20 अक्टूबर 2023 के दिन होगी इस दिन माता के छठे रुप का पूजन किया जाएगा. पूजन समय के लिए देवी का पूजन प्रात:काल 06:30 से आरंभ होगा इसी के साथ शुभ योगों में देवी का पूजन सुखों को देने वाला होता है. देवी का पूजन इन मंत्रों के साथ आरंभ होता है. देवी कात्यायनी की पूजा करने से भक्त के चक्र जागृत होते हैं तथा संतुलित होते हुए कार्य करते हैं. देवी की पूजा से आध्यात्मिकता सुख की प्राप्ति संभव मानी गई है. प्रात:काल समय देवी का समरण करते हुए देवी को विभिन्न प्रकार की पूजन सामग्री को अर्पित करते हुए पूजा जाता है.
माता का पूजन करने से भक्त के जीवन में सम्मान, प्रसिद्धि का आगमन होता है. किसी भी कार्यक्षेत्र में यश की प्राप्ति हेतु देवी पूजन सार्थक माना गया है. श्रद्धा और समर्पण के साथ देवी की पूजा करने से भक्तों के कष्ट दूर होते हैं. देवी कात्यायनी की पूजा करने से जीवन की सभी परेशानियां और परेशानियां दूर हो जाती हैं.
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कात्यायनी पूजा मंत्र महत्व
देवी कात्यायनी पूजन के दिन देवी को शहद का भोग अवश्यअर्पित करना चाहिए. इसके साथ ही देवी को लाल पुष्प अर्पित करते हुए पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है.
प्रार्थना मंत्र
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना.
कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥
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का स्तुति मंत्र:
या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता.
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
'ॐ ह्रीं नम:..'
चन्द्रहासोज्जवलकराशार्दुलवरवाहना.
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी..
ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥