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कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करकचतुर्थी (करवा-चौथ) व्रत करने का विधान है। इस व्रत की विशेषता यह है कि केवल सौभाग्यवती स्त्रियों को ही यह व्रत करने का अधिकार है। स्त्री किसी भी आयु, जाति, वर्ण, संप्रदाय की हो, सबको इस व्रत को करने का अधिकार है। जो सौभाग्यवती (सुहागिन) स्त्रियाँ अपने पति की आयु, स्वास्थ्य व सौभाग्य की कामना करती हैं वे यह व्रत रखती हैं। इस व्रत को करवाचौथ कहते हैं। करवाचौथ दो शब्दों से मिलकर बना है, 'करवा' यानि कि मिट्टी का बर्तन व 'चौथ' यानि गणेशजी की प्रिय तिथि चतुर्थी। प्रेम, त्याग व विश्वास के इस अनोखे महापर्व पर मिट्टी के बर्तन यानि करवे की पूजा का विशेष महत्त्व है, जिससे रात्रि में चंद्रदेव को जल अर्पण किया जाता है।
तिथि और समय
कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि आरंभ- 24 अक्टूबर 2021 रविवार सुबह 3 बजकर 1 मिनट पर से कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि समाप्त- 25 अक्टूबर को सुबह 5 बजकर 43 मिनट पर
चांद निकलने का समय- रात्रि 08 बजकर 11 मिनट पर पूजन का शुभ मुहूर्त- शाम को 06 बजकर 55 मिनट से लेकर रात में 08 बजकर 51 मिनट तक शाम को शुभ मुहूर्त में कथा आदि पढ़ें और रात्रि में चंद्रमा निकलने के बाद पूजन करें और चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण करें। करवा चौथ का व्रत वैसे तो मुख्यतः महिलाएं ही रखती है परंतु इस दिन पतियों को कुछ मुख्य बातों का ध्यान रखना चाहिए। ताकि दांपत्य जीवन खुशहाल बना रहे और देवी-देवताओं का पूर्ण आशीर्वाद प्राप्त हो।
1. करवा चौथ के अवसर पर पुरुषों को कभी भी अपनी पत्नियों से वाद-विवाद नहीं करना चाहिए |
2. इस दिन पुरुषों को क्रोध और अहंकार से बचना चाहिए अपनी पत्नी का आदर करना चाहिए साथ ही अन्य स्त्रियों को भी सम्मान देना चाहिए।
3. अपनी वाणी में मधुरता बनाए रखें और बड़े बुजुर्गो का सम्मान करें व पत्नी के साथ बुजुर्गो का आशीर्वाद लें।
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