- कार्तिक पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पहले यानी ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर लें। अगर पास में गंगा नदी मौजूद है तो वहां जाकर स्नान करें।
- सुबह के वक्त मिट्टी का घी या तेल का दीपक जलाएं।
- भगवान विष्णु का विधि विधान पूजन करें।
- श्री विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करें या फिर भगवान विष्णु के इस मंत्र को पढ़ें।‘नमो स्तवन अनंताय सहस्त्र मूर्तये, सहस्त्रपादाक्षि शिरोरु बाहवे।सहस्त्र नाम्ने पुरुषाय शाश्वते, सहस्त्रकोटि युग धारिणे नम:।।’
- घर में हवन पूजन करें।
- घी, अन्न या खाने की वस्तु दान करें।
- शाम के समय घर और घर के बाहर दीपक जलाएं।
- सत्यनारायण की कथा पढ़ें, सुनें और सुनाएं।
- इस दिन विष्णु जी का ध्यान करते हुए मंदिर, पीपल, चौराहे या फिर नदी किनारे बड़ा दीपक भी जलाएं।
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन ब्राह्मण, बहन और बुआ को अपनी श्रद्धा के अनुसार वस्त्र और दक्षिणा जरूर दें।
- तुलसी के पौधे पर भी दीपक जलाएं।
कार्तिक पूर्णिमा व्रत विधि :
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है।
- इस दिन प्रात: काल उठकर व्रत का संकल्प लेकर किसी नदी या तालाब में स्नान किया जाता है। अगर ऐसा संभव न हो तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर लें।
- इस व्रत में पूरे दिन अन्न ग्रहण नहीं किया जाता है।
- इस दिन भगवान विष्णु की प्रतिमा को केसर के दूध से स्नान कराकर षोडशोपचार पूजन करें और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
- कार्तिक पूर्णिमा और सत्यनारायण भगवान की कथा अवश्य सुनें।
- तुलसी जी के पौधे पर दीपदान करें।
- घर में और बाहर दीपक जलाएं और गाय का दान, दूध, केले, खजूर, अमरूद, चावल, तिल और आंवले का दान जरूर करें।
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन शाम के समय जल में कच्चा दूध मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य जरूर दें।
- इस दिन व्रती जल में दूध और शहद मिलाकर पीपल के वृक्ष पर जरूर चढ़ाएं और दीपक भी जलाना चाहिए, क्योंकि इस दिन पीपल के पेड़ पर मां लक्ष्मी का वास माना जाता है।
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