myjyotish

6386786122

   whatsapp

6386786122

Whatsup
  • Login

  • Cart

  • wallet

    Wallet

विज्ञापन
विज्ञापन
Home ›   Blogs Hindi ›   Kalashtami is the day of worshiping the Bhairav form of Mahakal Shiva.

महाकाल शिव के भैरव रूप की उपासना का दिन है कालाष्टमी

My Jyotish Expert Updated 14 Apr 2020 06:02 PM IST
Kalashtami is the day of worshiping the Bhairav form of Mahakal Shiva.
विज्ञापन
विज्ञापन
कालाष्टमी के दिन महादेव शिव के विग्रह रूप की पूजा की जाती है। इस दिन कालाष्टमी का पाठ कर विधि-विधान से पूजा संपन्न की जाती है। बहुत से लोगों द्वारा इस दिन उपवास भी रखा जाता है। इस दिन कुछ कार्यों को करने की मनाही होती है। यदि कोई भी उन कार्यों को करता है तो उसे उपयुक्त फल प्राप्त नहीं होता है। कालभैरव भगवान शिव के पांचवे अवतार माने जाते हैं। कालाष्टमी के दिन भगवान भैरव की आराधना से  उनका आशीर्वाद प्रदान करते हैं। कालाष्टमी के दिन भगवान भैरव को सिंदूर, सरसों का तेल, नारियल, चना, चिरौंजी, पुए और जलेबी चढ़ाएं ,इससे भैरव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।


मान्यताओं के अनुसार यदि भैरव की प्रतिमा के आगे सरसों के तेल के दीप जलाएं जाए तो उससे भैरव की असीम अनुकम्पा की प्राप्ति होती है। भैरव देवता को प्रसन्न करने के लिए कुत्ते को मीठी रोटी भी खिलाई जाती है। इससे न सिर्फ भैरव भगवान बल्कि शनिदेव भी प्रसन्न होते हैं तथा दोनों की कृपा भक्तों पर बनी रहती है। कालाष्टमी के दिन झूठ नहीं बोलना चाहिए, इस दिन झूठ बोलने से बहुत नुकसान होता है। कालभैरव की पूजा कभी मन में किसी का बुरा या विनाश का सोचकर नहीं करनी चाहिए। ऐसा करना विपरीत प्रभाव पैदा करने में सक्षम होता है। गृहस्थ व्यक्तियों को भैरव की तामसिक पूजा नहीं करनी चाहिए। इनकी पूजा करने वालों को कुत्तों को मारना भी नहीं चाहिए। अगर सक्षम हों तो कोशिश करें की उसे भोजन कराएं।

भगवान कालभैरव महादेव शिव के अवतार हैं इसलिए यह बहुत ही सरलता से प्रसन्न हो जाते हैं। इनकी पूजा में भी महाकाल की पूजा के समान ही बेलपत्र और धतूरा चढ़ाना चाहिए इससे आराध्य विपदाओं से भक्तों को दूर रखते है। मान्यताओं के अनुसार कालभैरव की उपासना का फल कलियुग में शीघ्र प्राप्त हो जाता है। इनकी पूजा से किसी भी नकारात्मक शक्ति का वास भी नहीं रहता है व व्यक्ति सफलता की और आगे बढ़ता है।  इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदिकर उपवास का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद शाम को शिव पार्वती और भैरव की पूजा करनी चाहिए। इस दिन पूजा करने से ग्रह -नक्षत्र के दुष्प्रभाव समाप्त हो जाते हैं।

यह भी पढ़े :-

जानिए कैसे राहु के शुभ -अशुभ प्रभावों से बदलता है व्यक्ति का स्वभाव

जानिए क्या है माँ गायत्री के मंत्र उच्चारण का पर्याप्त समय

जानिए क्या है बैसाखी के त्यौहार का महत्व

  • 100% Authentic
  • Payment Protection
  • Privacy Protection
  • Help & Support
विज्ञापन
विज्ञापन


फ्री टूल्स

विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन

Disclaimer

अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms and Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।

Agree
X