मान्यताओं के अनुसार यदि भैरव की प्रतिमा के आगे सरसों के तेल के दीप जलाएं जाए तो उससे भैरव की असीम अनुकम्पा की प्राप्ति होती है। भैरव देवता को प्रसन्न करने के लिए कुत्ते को मीठी रोटी भी खिलाई जाती है। इससे न सिर्फ भैरव भगवान बल्कि शनिदेव भी प्रसन्न होते हैं तथा दोनों की कृपा भक्तों पर बनी रहती है। कालाष्टमी के दिन झूठ नहीं बोलना चाहिए, इस दिन झूठ बोलने से बहुत नुकसान होता है। कालभैरव की पूजा कभी मन में किसी का बुरा या विनाश का सोचकर नहीं करनी चाहिए। ऐसा करना विपरीत प्रभाव पैदा करने में सक्षम होता है। गृहस्थ व्यक्तियों को भैरव की तामसिक पूजा नहीं करनी चाहिए। इनकी पूजा करने वालों को कुत्तों को मारना भी नहीं चाहिए। अगर सक्षम हों तो कोशिश करें की उसे भोजन कराएं।
भगवान कालभैरव महादेव शिव के अवतार हैं इसलिए यह बहुत ही सरलता से प्रसन्न हो जाते हैं। इनकी पूजा में भी महाकाल की पूजा के समान ही बेलपत्र और धतूरा चढ़ाना चाहिए इससे आराध्य विपदाओं से भक्तों को दूर रखते है। मान्यताओं के अनुसार कालभैरव की उपासना का फल कलियुग में शीघ्र प्राप्त हो जाता है। इनकी पूजा से किसी भी नकारात्मक शक्ति का वास भी नहीं रहता है व व्यक्ति सफलता की और आगे बढ़ता है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदिकर उपवास का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद शाम को शिव पार्वती और भैरव की पूजा करनी चाहिए। इस दिन पूजा करने से ग्रह -नक्षत्र के दुष्प्रभाव समाप्त हो जाते हैं।
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