मासिक शिवरात्रि के दिन बंगाल के 108 शिवलिंग मंदिर में कराएं जलाभिषेक, होगी सर्व सुख की प्राप्ति व पूर्ण होंगे अटके हुए कार्य : 20-मई-2020
कालिका पुराण के अनुसार कालभैरव को महादेव का गण बताया गया है। इस दिन कालभैरव के साथ माँ दुर्गा की उपासना भी साधकों के लिए अत्यंत ही फलदायी प्रमाणित होती है। इनकी आराधना से जीवन में आ रही समस्त परेशानियों का समापन होता है। दुःख और दरिद्रता का व्यक्ति के जीवन में कोई वास नहीं रहता। कालभैरव की उपासना से प्राप्त की शक्ति से व्यक्ति के मन का भय समाप्त हो जाता है तथा वह निर्भयता से अपने कार्य को सफल बनाता है। कालभैरव दुष्टों का नाश करते हैं परन्तु अपने भक्तों के लिए उनकी कृपा कल्याणकारी मानी जाती है।
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कालाष्टमी के शुभ दिन पर, कालभैरव के भक्त जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए भगवान भैरव की पूजा करते हैं। मंदिरों में शिव कथा सुनाई जाती है और भगवान भैरव के नाम से श्लोकों और मंत्रों का पाठ किया जाता है। काल भैरव की पूजा-विधान और पारंपरिक अनुष्ठान की शुरुआत उन्हें फल, फूल और मदिरा भेंट करके की जाती है। कालभैरव शत्रु नाशक हैं, उनके प्रकोप से किसी भी प्रकार की दानवीय शक्ति उनके भक्तों को हानि नहीं पंहुचा सकती। कालभैरव शिव स्वरूप हैं इसलिए अपने भक्तों से शीघ्र ही प्रसन्न हो जाते हैं।
इस दिन श्रद्धालुओं द्वारा भगवान शिव और माता पार्वती के पाठ कीर्तन व कथाओं का भी प्रचलन है। कालभैरव की पूजा रात्रि के समय करने की अधिक मान्यता है। मान्यताओं के अनुसार रात्रि काल में संपन्न की गई पूजा का फल शुभ प्राप्त होता है। उनके आशीर्वाद से रचनात्मक ऊर्जा में सुधार होता है तथा सफलता प्राप्त होती है।
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