सूर्य का आर्द्रा में प्रवेश मौसम में होंगे बड़े बदलाव
सत्ताईस नक्षत्रों या चंद्र नक्षत्रों में से छठा आर्द्रा नक्षत्र है. यह नक्षत्र मिथुन राशि में अपने चारों चरणों के साथ आता है. यह नक्षत्र एक बदलाव का नक्षत्र है, जो अपनी असाधारण क्षमताओं के लिए जाना जाता है. इस नक्षत्र में होने पर हर कार्य में हर समय आगे रहने का उत्साह काफी महत्वपूर्ण होता है. सूर्य का इस नक्षत्र में जाना इस समय काफी उथल-पुथल के लिए जिम्मेदार भी होता है. आर्द्रा नक्षत्र परिवर्तन, उथल-पुथल और अराजक घटनाओं का नक्षत्र है. यह दुर्घटनाओं और आपात स्थितियों से सबसे अधिक निकटता से संबंधित हो सकता है. सुर्य की स्थिति का इस गोचर में आना काफी बदलाव का समय होता है.
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मेदिनी अनुसार आर्द्रा फल
सूर्य जून के महीने में आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करता है, और जुलाई तक बारिश का मौसम शुरू होने तक वहीं रहता है. एक आंसू की बूंद आर्द्रा नक्षत्र के प्रतीक का प्रतिनिधित्व करती है, जो नवीनीकरण या कायाकल्प का प्रतिनिधित्व करने में सक्षम है. आर्द्रा नक्षत्र के शासक देवता रुद्र हैं, जिन्हें तूफानों के देवता के रूप में जाना जाता है, और वज्र और तूफान पर उनकी पकड़ होती है. इस समय पर बारिश और तूफान मौसम की प्रकृति को महत्वपूर्ण रूप से बदल देते हैं और इसे कुछ अलग में बदल देते हैं.
आर्द्रा नक्षत्र के लिए, शासक ग्रह 'राहु' है, और यही कारण है कि इस नक्षत्र के जातक हमेशा ज्ञान प्राप्त करने की तलाश में रहते हैं और कई बार विनाशकारी बदलाव भी दिखा सकते हैं. क्योंकि ग्रह देवता हमें किसी विशेष नक्षत्र के शासक ग्रह की प्रकृति को समझने की क्षमता देता है, भगवान शिव आर्द्रा नक्षत्र के मुख्य देवता हैं, जिन्हें विभिन्न रुद्र रूपों में अवतार लेने के लिए जाना जाता है, यह उनका सबसे विनाशकारी रूप है.
मौसम का बदलाव भी रुद्र द्वारा प्रभवैत होता है. इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक को भगवान शिव का एक विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिसके माध्यम से वे अपने सपनों को पूरा करने और जीवन में अपने लक्ष्य तक पहुँचने में सक्षम होते हैं.अपने शांतिपूर्ण रूप में, 'रुद्र' प्राकृतिक उपचार के लिए उपयोग की जाने वाली विभिन्न जड़ी-बूटियों पर अपना असर बन अकर रखते हैं. यह आर्द्रा जातकों को उपचार की शक्ति देता है जिसे वे दूसरों को भी दे सकते हैं,
जन्मकुंडली ज्योतिषीय क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है
आर्द्रा नक्षत्र की विशेषताएं
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, आर्द्रा नक्षत्र पूरी तरह से मिथुन राशि के अंतर्गत आता है. नमी एवं अश्रु के प्रतीक द्वारा दर्शाया गया, यह दुख को दूर करने की क्षमता रखने में सक्षम होता है. पुरानी चीजों को दूर करने और नई समझ के साथ जीवन में आगे बढ़ने की कोशिश इस नक्षत्र में दिखाई देती हैं. इस समय पर अशांति और बाधाएं पैदा होती है लेकिन आने वाला समय काफी महत्वपूर्ण होता है.
आर्द्रा नक्षत्र में जन्मा जातक अच्छी समझ का व्यक्ति होता है, व्यक्तित में चीजों की जांच करने का शौक होता है और अनुसंधान और अध्ययन की ओर झुकाव वाला होता है. राहु इसे अपनी गतिविधियों में तेज और उग्र होने का स्वभाव देता है, और अपने आप से अधिक प्रयास करके जीवन में उत्कृष्टता प्राप्त करने की क्षमता देता है.
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