बुध, सूर्य और राहु युति का ग्रहण योग कई मायनों में होता है खास
वैदिक ज्योतिष में सूर्य, बुध और राहु की युति किसी ऐसे व्यक्ति का एक मजबूत संकेत है जो कंप्यूटर गुरु, प्रोग्रामर या कंप्यूटर इंजीनियर है. बुध भाषा, गणना और संगठन है, जबकि राहु कंप्यूटर युग का प्रतिनिधित्व करता है. ज्योतिष में सूर्य को आत्म, अभिव्यक्ति, अहम, व्यक्तित्व, पिता, जीवन शक्ति कहा गया है. ज्योतिष में बुध को बुद्धि, संचार, भाषण, तर्क, शिक्षा, विश्लेषणात्मक कौशल, गणना, शिक्षा, व्यवसाय, व्यापार और भाषा कौशल से जोड़ा गया है.
ज्योतिष में राहु को भ्रम, वर्जित तोड़ने वाला, अपरंपरागत, धोखेबाज, जादूगर, विदेशी उत्पाद और स्थान, चोर, राजनेता, व्यापक संचार और कंप्यूटर से संबंधित उत्पाद से जोड़ा जाता है. ग्रह युति में केवल ऊर्जा हैं, और जब अलग-अलग प्रकार की ऊर्जा एक साथ आती हैं, तो वे एक नई प्रकार की ऊर्जा का निर्माण करती हैं. नई प्रकार की ऊर्जा आपके जीवन में एक ऐसी स्थिति लाती है जो उस संयोग की नियति को पूरा करती है. आईये जानें कैसे ये हम पर असर डाल सकती हैं.
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ज्योतिष में सूर्य बुध राहु योग का असर
सूर्य की रोशनी और राहु द्वारा बुद्धि का प्रवर्धन व्यक्ति को उच्च स्तर पर अपने आप को दिखाने की अभिव्यक्ति देने वाला होता है. जिस प्रकार राहु सूर्य से और सूर्य राहु से घृणा करता है, लेकिन बुध को दोनों में सर्वश्रेष्ठ मैत्रि भाव प्राप्त करता है. इस कारण से अहंकार के साथ आश्वस्त रहते हैं और वास्तव में खुद पर विश्वास करने की बुद्धि, ज्ञान और संचार क्षमता में बहुत निपुण हो सकते हैं. इसके प्रभाव से व्यक्ति के भीतर अथाह ज्ञान समाहित रहता है. संवाद करना चाहते हैं और बदलाव के पक्षधर होते हैं. अपनी बुद्धि के लिए सम्मानित होने की चाह भी बहुत अधिक होगी.
परंपराओं वर्जनाओं को भंग करता योग
इन तीनों का प्रभाव संयुक्त रुप से जबरदस्त बदलावों का प्रतीक बनता है. वर्जनाओं को तोड़कर, विदेशी भूमि में जाकर और विदेशी भूमि में परिवर्तन लाकर शिक्षा में सफलता प्राप्त करने की योग्यता खूब रख सकते हैं. यदि सूर्य कमजोर है तब ऎसे में थोड़ा गंभीर होना भी पड़ता है ऎसे में राहु ने दोनों ग्रहों को ग्रहण किया है, तो यह ऎसी स्थिति को दर्शा सकता है जब व्यक्ति के भीतर मौजूद ज्ञान सामने स्पष्ट रुप से नहीम आ पाता है, कुछ स्थिति में व्यक्ति मूक हो सकता है या बोलने में समस्या हो सकती है, जिससे अहंकार आहत होता है और आत्मसम्मान में कमी को पैदा कर सकता है. पर एक अन्य तथ्य की धीरे धीरे स्थिति के अनुसार इन चीजों का विकास भी व्यक्ति के भीतर होता है और फिर उसएक गुण मूक होने पर भी दुनिया को बदल देने की संभावनाओं से युक्त हो सकते हैं.
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यदि ये तीनों ग्रह तुला, वृश्चिक या मीन राशि में अशुभ राशि में स्थित हों तो इस व्यक्ति की शिक्षा लंबे समय तक रुकी रह सकती है. व्यक्ति अभद्र तरीके से बोल सकता है और अपने अहंकार और अपनी छवि की रक्षा के लिए कुछ भी कर सकता है. बुध भी हाथों के कौशल से काम करता हुआ दिखाता है.
जबकि राहु एक भ्रम है, और सूर्य अहंकार और स्थिति है. जातक एक जादूगर हो सकता है जिसका आत्मविश्वास और प्रतिष्ठा प्रत्येक प्रदर्शन के साथ बढ़ती जा सकती है. यहां तक कि विशेष प्रभाव और फिल्म संपादक भी इस संयोजन के साथ देखे जाते हैं क्योंकि फिल्में, संपादन और प्रभाव कंप्यूटर के साथ बनाए गए भ्रम से ही प्रकट होता है.
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