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Jaya Ekadashi 2022: जया एकादशी के लिए आज शाम से शुरू करें ये नियम, तभी मिलेगा व्रत का शुभ फल

Myjyotish Expert Updated 11 Feb 2022 06:18 PM IST
जया एकादशी के लिए आज शाम से शुरू करें ये नियम
जया एकादशी के लिए आज शाम से शुरू करें ये नियम - फोटो : google
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जया एकादशी का पर्व भगवान श्री विष्णु अराधना का एक अत्यंत महत्वपूर्ण समय है. जया एकादशी 12 फरवरी 2022 शनिवार के दिन संपन्न होगी. साल भर में आने वाली प्रत्येक एकादशी का अपना एक अलग महत्व रहा है ऎसे में माघ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जया एकादशी के रुप में जाना जाता है, इस दिन उपवास रखने की परंपरा भी रही है. हिंदू कैलेंडर में 'माघ' महीने में शुक्ल पक्ष के दौरान  जया एकादशी तिथि समस्त कार्यों में विजय प्राप्त करने हेतु एक अत्यंत उत्तम समय भी होता है. जया एकादशी का व्रत लगभग सभी हिंदुओं, विशेष रूप से भगवान विष्णु के अनुयायियों द्वारा बहुत ही श्रद्धा एवं उल्लास के साथ मनाया जाता रहा है. इस दिन प्रभु के दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए मनाया जाता है. यह भी प्रचलित मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत करने से सारे पाप धुल जाते हैं और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है. जया एकादशी को दक्षिण भारत के कुछ हिंदू समुदायों, विशेष रूप से कर्नाटक और आंध्र प्रदेश राज्यों में यह अलग अलग नामों से जानी जाती है इसे भीष्म एकादशी के रूप में भी जाना जाता है. 

एकादशी से पूर्व दशमी तिथि नियम
एकादशी व्रत के नियमों का पालन दशमी की एक रात (एकादशी से एक दिन पहले) से किया जाता है. व्रत दशमी की रात से शुरू होकर द्वादशी की सुबह (एकादशी के एक दिन बाद) दान आदि करके संपन्न होता है. दशमी तिथि की संध्या से ही सात्विकता का आचरण करना चाहिए, सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए. मानसिक, वाचिक शुचिता का पालन करना चाहिए. ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए. पृथ्वी पर शयन करना चाहिए.  

जया एकादशी पर पूजा 
जया एकादशी के दिन पूजा पाठ के विशेष नियम होते हैं. जया एकादशी के दिन पूरे समर्पण के साथ भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. भक्त सूर्योदय के समय उठते हैं और जल्दी स्नान करते हैं. भगवान विष्णु की एक छोटी मूर्ति पूजा स्थल पर रखी जाती है और भक्त भगवान को चंदन का लेप, तिल, फल, दीपक और धूप चढ़ाते हैं. इस दिन 'विष्णु सहस्त्रनाम' और 'नारायण स्तोत्र' का पाठ करना शुभ माना जाता है.

इस दिन व्रत का पालन होता है. भक्त पूरे दिन बिना कुछ खाए-पिए उपवास रखते हैं. वास्तव में व्रत 'दशमी' तिथि से शुरू होता है और एकादशी के दिन पूर्ण उपवास होता है हिंदू भक्त एकादशी के सूर्योदय से द्वादशी तिथि के सूर्योदय तक निर्जल उपवास रखते हैं. व्रत के दौरान भक्त शुद्ध चित्त मन से भक्ति को धारण करते हैं. भक्त को मन में क्रोध, काम या लोभ की भावनाओं को प्रवेश नहीं देना चाहिए. यह व्रत शरीर और आत्मा दोनों को शुद्ध करने के लिए होता है. इस व्रत के पालनकर्ता को द्वादशी तिथि पर ब्राह्मणों को भोजन देना चाहिए और फिर अपना उपवास संपन्न करना चाहिए. इस शुभ दिन भगवान विष्णु की स्तुति करते हुए भजन जागरण कीर्तन इत्यादि होता है. जो लोग जया एकादशी का व्रत नहीं करना चाहते उन्हें भी चावल से बने भोजन से परहेज करने की सलाह दी जाती है क्योंकि एकादशी के दिन चावल खाने का निशेध होता है. 

जया एकादशी शुभ मुहूर्त समय 
द्वादशी समाप्ति क्षण फरवरी 13, 2022 6:42 अपराह्न
एकादशी तिथि 11 फरवरी, 2022 दोपहर 1:52 बजे शुरू होगी
एकादशी तिथि 12 फरवरी, 2022 शाम 4:27 बजे समाप्त होगी
एकादशी पारण का समय 13 फरवरी, 7:04 पूर्वाह्न से 13 फरवरी, 9:19 पूर्वाह्न

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