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कृष्ण जन्माष्टमी के इस महापर्व पर जाने जन्माष्टमी से जुड़ी कुछ रोचक कहानियां और लड्डू गोपाल के पूजन की कुछ महत्वपूर्ण विधि

my jyotish expert Updated 30 Aug 2021 01:10 PM IST
कृष्ण जन्माष्टमी 2021
कृष्ण जन्माष्टमी 2021 - फोटो : google
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कृष्ण जन्माष्टमी पर्व देश भर में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है इस बार यह पर्व 30 अगस्त सोमवार के दिन मनाया जाएगा यदि शास्त्रों को माने तो भगवान विष्णु जी श्री कृष्ण जी के रूप में आठवां अवतार लिया था।
माना जाता हैं श्री कृष्ण का जन्म पहले ही आकाशवाणी के माध्यम से हो गई थीं श्री कृष्ण जी का जन्म रात्रि 12 बजे हुआ था बताया जाता हैं की जब श्री कृष्ण जी का जन्म हुआ़ तब कारागार के सभी थाले खुल गए थे  और सभी सैनिक मुर्षा में चले गए थे 
शास्त्रों के अनुसार उस आसमान में घना अंधेरा और बारिश आसमानी बिजली कड़कने लगी थी।

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रात्रि 12 बजे के बाद ही क्यों जन्म हुआ था श्री कृष्ण जी का 

श्री कृष्ण जी का जन्म द्वापर युग के रोहिणी नक्षत्र में हुआ था विद्वानों का मानना है क्यूंकि श्री कृष्ण जी चंद्रवंशी कुल के थे जबकि उनके पूर्वज चंद देव थे और वे चंद्रमा और बुध के पुत्र थे ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रोहिणी चंद्रमा की पत्नि और एक नक्षत्र हैं इसलिए श्री कृष्ण जी का जन्म रोहिणी नक्षत्र में और बुधवार को अष्टमी के दिन हुआ था कुछ विद्वानों का कहना है कि श्री कृष्ण का रात में जन्म लेना उनके पूर्वज के समक्ष होना था इसलिए उनका जन्म शुक्ल पक्ष में रात्रि में हुआ था।

श्री कृष्ण जी ने मामा कंस का वध क्यूं किया था

कंस मथुरा का एक प्रतापी राजा का पुत्र था , जो अपने निर्दय पूर्ण शासन के लिए जाना जाता था जिसके शासन में प्रजा बिल्कुल सुखी नही थी उसने अपने मित्र वासुदेव से अपने बहन देवकी  विवाह कर दिया था परंतु यथासमय आकाशवाणी के माध्यम से पता चला कि उसके बहन का आठवां संतान उसके मृत्यु का कारण बनेगा जिसके बाद उसने अपने बहन देवकी और वसुदेव को बंदी बनाया कारागार में डाल दिया और आठवां संतान का इंतजार करने लगा और देवकी के सभी संतान को मारने लगा मगर श्री कृष्ण जी के जन्म के बाद वासुदेव जी श्री कृष्ण जी को अपने मित्र नंददेव के घर गोकुल लेकर चले गए जहां उनका पालन पोषण हुआ , दरसल श्री कृष्ण जी का जन्म केवल कंस को मारना और पृथ्वी लोक पर शांति स्थापित करना था।

इस वर्ष क्या हैं व्रत पारण की तिथि 

31 अगस्त को सुबह 9 बजकर 44 मिनट पर व्रत का पारण कर सकते हैं। 

रोहिणी नक्षत्र प्रारम्भ :-
30 अगस्त सुबह 6 बजकर 39 मिनट पर।

रोहिणी नक्षत्र समापन :-
31 अगस्त सुबह 9 बजकर 44 मिनट पर।

पूजा करने की विधि कैसे करते हैं लड्डू गोपाल का पूजा अर्चना 

श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन कृष्ण जी के बाल स्वरूप की पूजा की जाती हैं इस दिन सुबह स्नान ध्यान करके घर की साफ सफाई करें और लड्डू गोपाल का जलाभिषेक करें और लड्डू गोपाल को झूले में स्थापित करें जैसा की जानते हैं कृष्ण जी को दूध के बने चीजों से लगाव है तो उनके दूध से बनी चीजों का भोग लगाए श्री कृष्ण जी विष्णु का रूप हैं इसलिए इन्हें पीला वस्त्र पहनाएं इस दिन ज्यादा से ज्यादा लड्डू गोपाल का ध्यान करें उनका सेवा सत्कार करें उनका भजन कीर्तन करें और जन्म के पश्चात उनकी विधिवत आरती और चालीसा पाठ करें। 

इन नियमों का पालन करें

इस पावन दिन श्री कृष्ण जी के साथ गाय का पूजा भी किया जाता है अपने मन्दिर में गाय की छोटी मूर्ति ज़रूर रखें। 
पूजा सुंदर और साफ सुथरी जगह पर करें 
लड्डू गोपाल का जलाभिषेक गंगा जल से करें।
गाय ले दूध से बनी घी का इस्तेमाल करें 
लड्डू गोपाल को छप्पन भोग का भोग लगाया जाता है मगर ज़रूरी नही है यदि संभव हो तो करें नही तो स्किप कर सकते हैं ।
पूजन को ध्यान से शुभ मुहूर्त में खतम करें।

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