जन्माष्टमी का पर्व 12 अगस्त 2020 को है। इस पर्व के समय जो मंदिर सबसे अधिक चर्चा में रहता है , वह है बांके बिहारी जी का मंदिर। यह दुनिया का एकमात्र मंदिर है, जहाँ सुबह-सुबह भगवान को जगाने के लिए घंटियों को बजाय नहीं जाता है। ऐसा कहा और माना जाता है कि यह बच्चे को जगाने का सही तरीका नहीं है। उन्हें सौम्यता और देखभाल के साथ जागना चाहिए। इस मंदिर में कोई भी घंटी नहीं है। यहाँ तक की आरती के समय भी इसका उपयोग नही होता है।
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इसके पीछे एक कहानी है। एक बार एक भक्त सो गया था , जब वह बिहारी जी के लिए हाथ का पंखा खींच रहा था। तभी अचानक सेवक एक झटके से उठा, उसे एहसास हुआ कि वह अपने कर्तव्य से चूक गया है, जो शायद सोते समय भगवान को परेशान कर रहा होगा। उसने यह देखने के लिए अंदर की ओर झाका कि बांके बिहारी जी सो रहे हैं या नहीं, लेकिन वह यह देखकर चौंक गया कि भगवान वहां नहीं थे, उस समय कुछ रात्रि 1 बजे का समय हुआ था। वह सोचता रहा और प्रभु के वापस आने का इंतज़ार करता रहा और सुबह 4 बजे उसने देखा कि ठाकुरजी निस्तेज और पसीने से तर-बतर होकर लौट रहे थे। बिना कुछ कहे, सेवक अपना कर्तव्य करता रहा। अगली रात वह जागता रहा और उसने आधी रात को लगभग 12 बजे के समय फिर से ठाकुर जी को जातें हुए देखा।
इस बार भक्त ने भगवान के पीछे चुपके उन्हें निधिवन की ओर जाते हुए पाया। कुछ समय बाद सेवक ने उन्हें अपनी बांसुरी बजाते और खुशी से नाचते हुए पाया। फिर सुबह 4 बजे बांके बिहारी अपने घर मंदिर वापस आ गए। अब सेवक को बहुत जानकारी थी कि ठाकुरजी अपनी गोपियों के साथ समय बिताने के लिए हर रात निधिवन जाते हैं। और जब सुबह-सुबह पुरोहित उन्हें जगाने के लिए मंदिर में आया, तो सेवक ने उन्हें यह कहते हुए रोक दिया कि बांके बिहारी जी ने अपनी नींद पूरी नहीं की है क्योंकि वह रात को निधिवन के भ्रमण पर गए थे। तब से, मंगला आरती हर दिन सुबह 8:30 बजे की जाती थी।
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वृंदावन में बहुत से रहस्य बताए गए हैं। यह माना जाता है कि जिन लोगों का दिल शुद्ध होता है और जो उस स्थान पर जाते हैं, वह अभी भी उनकी बांसुरी की मधुर धुन और वहां की पायल की आवाज सुन सकते हैं। यदि आप भी ऐसा ही महसूस करना चाहते हैं और यदि आप राधा-कृष्ण के सच्चे भक्त हैं तो आपको अपने जीवनकाल में कम से कम एक बार इस स्थान की यात्रा अवश्य करनी चाहिए।
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