जन्माष्टमी 2020 : भगवान श्री कृष्ण हिन्दू धर्म के प्रमुख देवता है। वह भगवान विष्णु के आठवें अवतार भी है। श्री कृष्ण का जन्म द्वापर युग में अधर्म का नाशकर धर्म की स्थापना के लिए हुआ था। कृष्ण निष्काम कर्मयोगी एवं एक आदर्श दार्शनिक वाले महान पुरुष है। उनको इस युग में सर्व श्रेष्ठ पुरुष के रूप में माना गया है। उनके जन्म के माता पिता वासुदेव और देवकी है तथा कर्म व पालन -पोषण के माता पिता नन्द व यशोदा माता है। इन्होने सौराष्ट्र में द्वारका नगरी की स्थापना की थी। बाल गोपाल को लीलाधर के रूप में भी जाना जाता है। इनकी लीलाओं की असंख्य गाथाएं प्राचीन काल से ही प्रचलित है।
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नन्द लला को बालावस्था से ही माखन बहुत पसंद था। यशोदा माता उन्हें स्वयं माखन मिश्री बनाकर अपने हाथों से खिलाती थीं। परंतु इतने से उनका पेट नहीं भरता था और वह पुरे गांव में जहां भी मक्खन निकाला जाता था , वहां से चुराकर खा लेते थे। इसी के कारण उनका नाम माखनचोर पड़ा और उनकी आराधना के समय उनके भक्त उन्हें माखन मिश्री का भोग लगाते है। जिसके लिए उनकी माता द्वारा उन्हें दंडित भी किया जाता है। माखन मिश्री के भोग के चढ़ावे से श्री कृष्ण बहुत प्रसन्न होतें है तथा अपने भक्तों की समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति करते है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार एक कथा प्राचीनकाल से ही चली आ रही है। जिसमें बताया गया है श्री कृष्ण गावं भर से माखन चुराकर खाया करते है। जब यह बात माता यशोदा को पता चली तो उन्होंने इसका उपाय निकाला। वह स्वयं श्री कृष्ण की भूख को समाप्त करने के लिए अपने हाथों से माखन मिश्री का भोग तैयार करती थी तथा उन्हें खिलाया करती थी। इस कारण श्री कृष्ण का पेट भर जाता था और तृप्त हो जाते है। पूर्ण रूप से संतुष्ट होने के कारण वह किसी के घर माखन चुराने भी नहीं जातें थे। तभी से श्री कृष्ण को माखन का भोग प्रिय हो गया। कहते है की जो कोई भी उन्हें यह भोग अर्पण करता है उसे समस्त जगत का आनंद प्राप्त होता है।
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