पौष पूर्णिमा
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हिन्दू पंचांग के अनुसार पौष माह में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा बहुत ही महत्वपूर्ण होती है | पौष माह में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को पौष पूर्णिमा कहा जाता है | हिन्दू धर्म में पूर्णिमा तिथि एक विशेष स्थान है | पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपने पूर्ण आकार में होता है | मान्यता के अनुसार पौष पूर्णिमा के दिन दान, स्नान और सूर्यदेव को अर्घ्य देने का विशेष महत्व बताया गया है | ऐसा कहा जाता है कि पौष मास में समय से किए जाने वाले धार्मिक कर्मकांड की पूर्णता: पूर्णिमा के दिन स्नान करने से सार्थक हो जाती है | पौष पूर्णिमा के दिन काशी, प्रयागराज, और हरिद्वार में गंगास्नान का बड़ा महत्व है |
मान्यता के अनुसार पौष मास सूर्यदेव का मास कहा जाता है। इस मास में सूर्यदेव की आराधना से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है, इसलिए पौष पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान और सूर्यदेव को अर्घ्य देने की परंपरा है | पौष का महीना सूर्यदेव का महीना होता है और पूर्णिमा चंद्रमा की तिथि है तो सूर्य और चंद्रमा का यह अद्भूत संगम पौष पूर्णिमा की तिथि को ही होता है | इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों के पूजन से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं |
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पौष पूर्णिमा तिथि व शुभ मुहूर्त
28 जनवरी 2021 को 01 बजकर 18 मिनट से पूर्णिमा आरम्भ
29 जनवरी 2021 की रात 12 बजकर 47 मिनट पर पूर्णिमा समाप्त
पौष पूर्णिमा व्रत
ऐसा कहा जात है की जो भी व्यक्ति पौष पूर्णिमा के दिन स्नान, दान और जप व व्रत करता है उसको पुण्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है | पौष पूर्णिमा के दिन सूर्यदेव की आराधना पूरी श्रद्धा से करनी चाहिए | पौष पूर्णिमा के दिन प्रात: काल स्नान से पहले व्रत का संकल्प लें | पवित्र नदी या कुंड में स्नान करें और स्नान से पूर्व वरुणदेव को प्रणाम करें |
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