ज्योतिष शास्त्र की कई शाखाएँ होती है, उन्ही में से एक है मूलांक । ज्यादातर हम ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों, कुंडली और भाव इत्यादि के बारे में पढ़ते है किन्तु आज हम ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों से जुड़े नम्बरों के बारे में पढ़ेंगे ।
ज्योतिष शास्त्र में 9 नंबर का विशेष महत्व है क्योकि ग्रह भी 9 होते है और हर ग्रह से एक देवता जुड़ा होता है तो मूलांक के लिए भी 1 से 9 तक के ही नंबर लिए जाते है इसमें 0 को सम्मिलित नही किया जाता । ज्योतिष शास्त्र में अंको का इस्तेमाल बहुत जगह है लेकिन इनका इस्तेमाल मुख्य रूप से मूलांक को भाग्यांक की चर्चा करने के लिए किया जाता है । मूलांक और भाग्यांक हमेशा स्थिर होते है क्योकि किसी भी व्यक्ति की जन्म तिथि नही बदलती ।
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अगर आप किसी व्यक्ति की जन्म तिथि के चर्चा कर रहे हो तो उसकी जन्म तिथि उसका मूलांक है. जैसेकि अगर किसी व्यक्ति की जन्म तिथि 12-09-1985 है, तो उसका मूलांक उसकी जन्म तिथि के अंको का योग 3 ( 1 2=3 ) है ।
लेकिन अगर आप उस व्यक्ति के भाग्यांक की बात करे तो उसका भाग्यांक उसकी पूरी जन्म तिथि के अंको के योग के अंको का योग है. जैसेकि 1 2 0 9 1 9 8 5 = 35, 3 5 = 8 है।
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