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मौनी अमावस्या का महत्व और व्रत कथा !

Myjyotish Expert Updated 12 Jan 2021 07:18 PM IST
Astrology
Astrology - फोटो : Myjyotish
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11 फरवरी 2021 को मौनी अमावस्या है। मौनी अमावस्या के दिन सूर्य तथा चन्द्रमा गोचरवश मकर राशि में आते हैं। इस दिन मनु ऋषि का जन्म भी हुआ था। इसलिए इस अमावस्या को मौनी अमावस्या कहते हैं। मकर राशि, सूर्य तथा चन्द्रमा का योग इसी दिन होता है। इस अमावस्या का महत्व और बढ़ जाता है। इस दिन पवित्र नदियों व तीर्थ स्थलों में स्नान से पुण्य की प्राप्ति होती है।

मौनी अमावस्या का फलः
शास्त्रों में ऐसा बताया गया है कि मौनी अमावस्या के दिन व्रत करने से बेटी और जमाई की उम्र बढ़ती है। पुत्री को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। सौ अश्वमेध यज्ञ और एक हजार राजसूर्य यज्ञ का फल मौनी अमावस्या पर त्रिवेणी में स्नान से मिलता है।

मौनी अमावस्या के दिन व्यक्ति स्नान तथा जप आदि के बाद हवन, दान आदि कर सकता है। इससे पापों का खातमा होता है। इस दिन गंगा स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। माघ मास की अमावस्या तिथि और पूर्णिमा तिथि दोनों का ही महत्व इस मास में होता है।

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मौनी अमावस्या व्रत कथाः
कांचीपुरी नगर में एक ब्राह्मण देवस्वामी था। उसकी पत्नी धनवती और पुत्री गुणवती थी। उनके अतिरिक्त उसके सात पुत्र थे। देवस्वामी ने सभी पुत्रों का विवाह करने के बाद पुत्री के विवाह के लिए योग्य वर की तलाश के लिए अपने बड़े बेटे को नगर से बाहर भेज दिया। फिर उसने गुणवती की कुंडली एक ज्योतिषी से दिखाई। ज्योतिषी ने बताया कि विवाह के समय सप्तपदी होते ही यह कन्या विधवा हो जाएगी। यह सुनकर देवस्वामी दुखी हो गया, उसने उपाय पूछा। ज्योतिषी ने बताया कि इस योग का निवारण सिंहलद्वीप निवासी सोमा नामक धोबिन को घर बुलाकर उसकी पूजा करने से ही संभव होगा। यह सुनकर देवस्वामी ने अपने सबसे छोटे पुत्र के साथ पुत्री गुणवती को सोमा धोबन को घर लाने के लिए सिंहलद्वीप भेजा। वे दोनों समुद्र तट पर पहुंचे और समुद्र को पार करने का उपाय सोचने लगे, लेकिन कोई उपाय नहीं सूझा तो दोनों भाई-बहन भूखे-प्यासे एक वट वृक्ष की छाया में उदास हो कर बैठ गए।

ऐसे करें नमनः
मौनी अमावस्या के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठें। अपने ईष्ट देव की पूजा करनी चाहिए।  फिर भगवान से प्रार्थना करनी चाहिए कि वे उस दिन मौन व्रत रखने में आप पर कृपा रखें। व्रत, तीर्थ आदि शुभ कार्य देवों की कृपा के बिना सफल नहीं होते। वे ऐसे कार्यों में विघ्न-बाधाओं से रक्षा करते हैं। पूजन में अपने इष्ट देव के मंत्र का जाप करें।

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