ब्राह्मणों द्वारा बनाई गई जन्मपत्री में आपने राहु-केतु के बारे में अवश्य सुना होगा । राहु - केतु देवता है या दैत्य यह भी कई लोग सोचते होंगे , असल मे राहु-केतु एक ही शरीर के दो भाग है , यह शरीर एक स्वरभानु नामक दैत्य का है, जिसका सिर भगवान विष्णु ने धड़ से अलग कर दिया था । राहु और केतु पापी ग्रह के नाम से भी जाने जाते हैं। राहु और केतु दोनों मिलकर कुंडली में कालसर्प दोष का निर्माण करते हैं । अगर यह किसी की कुंडली में अशुभ स्थान पर हो तो इनका बुरा प्रभाव जातक का जीवन नर्क बना सकता हैं।
हिन्दू ज्योतिष के अनुसार राहु असुर स्वरभानु का कटा हुआ सिर है, जो ग्रहण के समय सूर्य और चंद्रमा के समक्ष आ जाता है। इसे कलात्मक रूप में बिना धड़ वाले सर्प के रूप में दिखाया जाता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार राहु को नवग्रह में एक स्थान दिया गया है। राहु के दुष्प्रभाव ,शुभ प्रभाव से ज़्यादा हैं , लेकिन उपाय करके इन्हें ठीक भी किया जा सकता हैं।
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राहु के दुष्प्रभाव
- अगर किसी की कुंडली मे राहु की दशा - महादशा चल रही हो तो उस जातक को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता हैं ।
- राहु अगर शुभ जगह विराजमान हो तो जातक को लाभ होता है परंतु अगर अशुभ स्थान पर हो तो उतना ही उसका दुष्परिणाम भी होता हैं।
- अगर राहु की वक्र दृष्टि पड़ जाती है तो जातक का जीवन संकट में आ जाता हैं , जातक अपना मानसिक संतुलन भी खो सकता हैं।
- जिसकी कुंडली में राहु बैठा हो वह अनैतिक काम करते हैं।
उपाय
- राहु के दुष्प्रभाव से पीड़ित इंसान को शनिवार का व्रत रखना चाहिए ।
- मीठी रोटी कौए को खिलाएं अथवा ब्राह्मणों और गरीबो को दान दें।
- गरीब परिवार की कन्या का विवाह कराएँ।
- सिरहाने पर जौ रखकर सोए और सुबह उठकर उसका दान कर दें , इससे राहु की कुदृष्टि हट जाती हैं।
Rahu Ketu Transit 2020: राहु - केतु राशि परिवर्तन, जानें इसके शुभ - अशुभ प्रभाव
राहु एवं केतु किस प्रकार आपकी कुंडली को प्रभावित कर सकतें है ?
यदि आप है कोर्ट केस और मुकदमों से परेशान, तो जरूर करें यह उपाय !