नवरात्रि के समय बहुत से लोगों के घरों में अखंड ज्योत जलाई जाती है। परन्तु यदि आप इसका ध्यान न रख सके या आपको काम से अक्सर इधर उधर की यात्रा करनी पड़ती है तो आपको यह ज्योत नहीं जलानी चाहिए क्योंकि इस ज्योत का खंडित होना बिलकुल भी शुभ नहीं माना जाता है। अर्थात यदि यह ज्योत नौ दिनों से पहले अप्रज्वलित हो जाए तो आपके ऊपर मुसीबतों का पहाड़ टूट सकता है।
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वह लोग जो अखंड ज्योत को नहीं जला सकते उनके लिए सुबह शाम की पूजा के समय सच्चे मन से केवल एक घी का दिया ही जला दे तो माँ की कृपा उनपर पड़ जाती है। नवरात्रि के आखरी दिन बलि से पूजा का समापन किया जाता है। जहां एक तरफ तामसी लोग बकरे की बलि देते है वही दूसरी ओर सात्विक लोग प्रथम दिन कलश पर रखा नारियल जो की इस बलि का प्रतीक माना जाता है उसे तोड़कर बलि की परंपरा को पूर्ण करते हैं। यदि आप बाहर आते जाते हैं और आपके लिए अष्टमी - नवमी का पूजन करना संभव नहीं है तो आप सूखा नारियल या श्रीफल के द्वारा अपनी पूजा का समापन कर सकते हैं। तथा जब भी घर लौटें उस चुनरी का विसर्जन कर दें।
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