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कैसे लगेगा पढ़ाई में मन, जाने कौन सें ग्रह होंगे अध्ययन के लिए अनुकूल

My Jyotish Expert Updated 25 Feb 2020 01:25 PM IST
How will the mind feel in studies, knowing which planets will be suitable for study
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ज्योतिष आपकी पढ़ाई या अध्ययन में अनुकूल परिस्थितिथों का निर्माण करता है।  प्रत्येक विद्यार्थी को ये सिखाया जाता है की जीवन में आगे बढ़ने के लिए मेहनत करना बहुत आवश्यक है। कर्मठ होने के साथ साथ अभिभावक को इस बात का भी ध्यान देना होता है विद्यार्थी को क्या क्या बाहरी सहायता प्रदान की जा सकती है।



मनुष्य जीवन में ग्रहों का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान होता है ,कई बार ग्रहों के प्रभाव से मिल रही सहायता के कारण विद्यार्थी बहुत ही अच्छा प्रदर्शन करके दिखते है। ऐसे अनेक गृह  जो की अध्ययन में सफलता या बाधा पैदा करने लिए जाने जाते है।

किसी भी व्यक्ति की कुंडली में पांचवे भाव से आरंभिक शिक्षा और नौवें भाव से उच्च शिक्षा देखी जाती है।जिस वातावरण या माहौल में विद्यार्थी अपनी शिक्षा प्राप्त करता है  उस वातावरण को चौथे भाव से देखा जाता है।

चंद्रमाँ की स्थिति से विद्यार्थी का किसी भी वास्तु को देखने का दृष्टिकोण देखा जाता है। दसवें या कर्म भाव से विद्यार्थी द्वारा अर्जित की जाने वाली शिक्षा को देखा जाता है व नौवें और पांचवे स्थान के संदर्ब में समझा जाता है।

यदि कुंडली के चौथे भाव में शुभ गृह हो या चतुर्थ  स्थान पर शुभ ग्रहों का प्रभाव हो तो घर का वातावरण शांत रहता है, जिससे विद्यार्थी को अध्ययन में सहायता मिलती है। शिक्षार्थी की कुंडली के पांचवे स्थान पर शुभ गृह बैठे हो या उनपर शुभ गृह के अधिपति का प्रभाव हो तो उनकी प्राथमिक शिक्षा अच्छी होती है। ऐसे में कई बार वह दसवीं और स्थानक स्तर की परीक्षाओं  में  शानदार परिणाम देते है।

अगर इम्तेहान के दौरान विद्यार्थी को चांदी कटोरी में दही मठकर खिलाया जाये तो वह एकाग्रता से पढाई में अपना मन लगा पाता है। शिक्षा के लिए शिक्षार्थी के बृहस्पति गृह का मजबूत होना अति आवश्यक है। इस गृह के अच्छे प्रभाव के कारण विद्यार्थी का मन किताबों में लगा रहता है ।

पढ़ाई के लिए गुरु को कारक माना जाता है।  नियमित रूप से गायत्री मंत्र का जाप और भगवान विष्णु के मंदिर जाने से छात्रो को अधिक लाभ होता है। छात्रों सरस्वती का भी आराध्य करना चाहिए क्योकि उन्हें शिक्षा की देवी माना जाता है। माता सरस्वती का  जाप करने से याद की गई सभी बातें लम्बे समय तक स्मरण रहती है ,और साथ ही साथ तेजी से भी  होती है। अगर जाप करने से पूर्व ग्यारह बार अनुलोम विलोम प्राणायाम किया जाए तो विद्यार्थी की इडा और पिंगला दोनों नाडि़यां चलने लगती है और मंत्र अधिक तेजी से सिद्ध होता है।
 

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