महाशिवरात्रि शिव और शक्ति के अभिसरण का विशेष पर्व है । यह शिव कि आराधना का मुख्य पर्व माना जाता है। महाशिवरात्रि का व्रत भगवान शिव के मन को मोहने का सरल तरीका है , जिसे सभी भक्त शिव का आशीर्वाद पाने के लिए करते हैं । महाशिवरात्रि व्रत करने का अपना एक अलग महत्व है । आज हम आपको बताएंगे उससे जुड़ी कुछ अनोखी बातें ।
क्यों मनाया जाता है महाशिवरात्रि का पर्व ?
कथाओं के अनुसार महाशिवरात्रि का पर्व शिव और माता पार्वती के विवाह के उल्लास के रुप मे मनाया जाता है। इस उत्सव के तीन दिन पहले से ही नेपाल में मंदिरों को मंडप के समान सजाते हैं । महाशिवरात्रि के दिन शिव और माता पार्वती की प्रतिमाओं का विवाह कराया जाता है उसके बाद उन्हें घर-घर घुमाते हैं ।
महिलाओं के लिए यह व्रत बहुत फलदायी माना जाता है, उनका यह भी मानना है कि इस दिन अविवाहित कन्याएं अगर व्रत करें तो उनके विवाह के संयोग जल्दी बनते हैं । वहीं विवाहित औरतें अपने पति की लंबी उम्र की कामना करते हुए ये व्रत करती हैं । इस पर्व से जुड़ी बहुत सी कहानियां प्रचलित हैं ।
कैसे होता है महाशिवरात्रि का व्रत ?
शिव को भोलेनाथ भी कहा जाता है, माना जाता है कि शिव इतने सीधे हैं कि वह बहुत ही सरलता से प्रसन्न हो जाते हैं। प्रातः उठकर स्नान आदिकर गंगाजल से जलाभिषक कराने भर से ही शिव खुश हो जाते हैं । उनके पूजन में बेल पत्र व भांग चढ़ाया जाता हैं । फल व अनाज चढ़ाकर पूजा खत्म होने तक ‘ओम नमः शिवाय’ का जाप व सारा दिन उपवास रख पूजा सम्पन्न कि जाती है ।
क्या खाए व क्या न खाए ?
महाशिवरात्रि का व्रत बहुत ही सरल होता है, इसमें सुबह उठकर शिव के विधिवत पूजन के बाद दिन मे फलाहार, चाय आदि का सेवन किया जाता है । शाम की पूजा के बाद रात को सेंधा नमक में बने भोजन को ग्रहण किया जाता है । कुछ लोग इस व्रत के दौरान सारा दिन केवल मीठे का ही सेवन करते हैं । इस दिन चावल, गेंहू व धान का सेवन नहीं करना चाहिए । यह व्रत करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं व घर और जीवन में सुख समृद्धि का वास होता है ।