शनि जिनकी कुंडली में अशुभ स्थिति में विराजमान हैं, शनि देव को प्रसन्न करने लिए ये माह उनके लिए बहुत ही अच्छा अवसर है। इस माह की 21 तारिख को है शनि प्रदोष व्रत।
मान्यताओं के अनुसार इस दिन व्रत करने से शिव की असीम कृपा उनके भक्तों पर पड़ती है। ऐसा इसलिए होता है की इस व्रत में प्रदोष महादेव के संबन्ध में है। खास बात यह है की इस दिन शनिवार का दिन होने के कारण शिव के साथ-साथ शनि देव का पूजन भी किया जाता है।
इस पूजा से महादेव के विशेष आशीर्वाद के साथ ही साथ शनि देव की कृपा भी आती है जिससे उनका अशुभ प्रभाव काम होने लगता है और जीवन में आ रही समस्या भी टल जाती है।
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जिन लोगो पर शनि की साढ़ेसाती चल रही हो उन्हें ये पूजा विशेष रूप से विधि विधान से करने चाहिए जिसके कारण उनपर आए संकट काम हो जाएंगे। शनि के साथ साथ महादेव की पूजा से जीवन में स्थिरता आती है।
इस दिन शनि का दान भी करना चाहिए और जिन लोगों को मानसिक तनाव है या जोड़ों और पैरों में दर्द रहता है उनके इस दिन पूजा करने से ये सभी कष्ट दूर हो जाएंगे तथा ईश्वर की कृपा बनी रहेगी।
सूर्यास्त के बाद और रात्रि के पहले का समय प्रदोष काल कहलाता है। मान्यताओं के अनुसार सूर्यास्त के 96 मिनट बाद तक का समय प्रदोष काल कहलाता है और इस समय शिव की पूजा से बहुत लाभ होता है।
पूजा के दिन सुबह स्नान आदि करके व्रत का संकल्प लेकर पूजा आरम्भ करें। व्रत के दौरान तन मन से स्वच्छ रहना बहुत आवश्यक है। ईर्ष्या और बुरे विचारों से दूर रहें। पूजा स्थल उत्तर या पूर्व दिशा की और बैठे और विधिवत भगवान का ध्यानकर पूजा संपन्न करे।
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