Hayagriva Jayanti: इस दिन है हयग्रीव जयंती, जानें क्यों लेना पड़ा भगवान विष्णु को हयग्रीव अवतार
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हयग्रीव जयंती का पर्व सावन माह की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के आधार पर इस दिन भगवान श्री विष्णु ने हयग्रीव अवतार लिया था. पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु के 24 अवतारों में से एक अवतार हयग्रीव भी हैं. हरग्रीव अवतार से संबंधित अनेक कथाएं भी प्राप्त होती हैं. भगवान द्वारा वेदों को पुन: स्थापित करना तथ औनकी दैत्यों से सुरक्षा करने हेतु तह अवतार अत्यंत विशेष हुआ है. इस संदर्भ में मुख्य रुप से दो कथाएं प्रचलित हैं जिनमें से एक देवी लक्ष्मी के श्राप से संबंधित है. तहा एक अन्य कथा मधु-कैटभ के वध से संबंधित है.
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हयग्रीव जयंती के समय पर विष्णु पूजन होता है. भगवान का यह रुप अत्यंत ही विशिष्ट रहा है. इस रुप में भगवान के धर्म की रक्षा हेतु अवतार लिया. आइए जानते हैं भगवान विष्णु को हयग्रीव अवतार क्यों लेना पड़ा. कथाओं एवं मान्यताओं के आणूशाआऋ जब-जब पृथ्वी पर धर्म की हानि होती है तब-तब भगवान किसी न किसी रूप में अवतार अवश्य लेते हैं. श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाई जाने वाली हयग्रीव जयंती का महत्व और भगवान विष्णु के इस अवतार के पूजन का समय होता है.
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भगवान विष्णु के हयग्रीव अवतार की कथा
हयग्रीव जयंती भगवान हयग्रीव के जन्मदिन के रूप में मनाई जाती है. शास्त्रों के अनुसार भगवान विष्णु का हयग्रीव अवतार श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन हुआ था. भगवान विष्णु के इस अवतार में उनका सिर घोड़े का और शेष शरीर मनुष्य का था. भगवान विष्णु ने यह अवतार राक्षसों द्वारा चुराए गए वेदों को पुनः प्राप्त करने के लिए लिया था. इस दिन, भगवान विष्णु के भक्त ज्ञान का आशीर्वाद पाने के लिए उनके हयग्रीव अवतार की विशेष पूजा करते हैं.
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हिंदू धर्म में भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है. इस शुभ दिन भगवान श्रीहरि को याद किया जाए और विधि-विधान से पूजा की जाए तो वह प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. पुराणों में श्रीहरि की कृपा से भक्तों के कष्ट दूर होने की अनेक कथाएँ बताई गई हैं. जिसमें से हयग्रीव अवतार कथा भी एक है. ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु की के हयग्रीव अवतार की पूजा करने से मनुष्य को उसके पिछले जन्म और इस जन्म दोनों के पापों से मुक्ति मिल जाती है और उसे पुण्य फल की प्राप्ति होती है. इस दिन विधि विधान से पूजा की जाए और पूजा विधि का ध्यान रखा जाए तो भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है.