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हरतालिका तीज देश के अधिकांश हिस्सों में उत्साह के साथ मनाई जाती है. लेकिन भारतीय राज्यों उत्तर प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड, झारखंड और बिहार में उत्सव और भी भव्य रुप देखने को मिलता है. यह उत्सव मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में भी देखा जा सकता है. राजस्थान राज्य में संगीत और गायन के साथ देवी पार्वती की मूर्ति को लेकर एक विशाल जुलूस निकाला जाता है. दक्षिणी राज्यों तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में, हरतालिका तीज व्रत को गौरी हब्बा के रूप में मनाया जाता है. इस दिन विवाहित महिलाएं देवी गौरी से सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद प्राप्त करने की प्रार्थना करती हैं.
हरतालिका तीज पूजा
हरतालिका तीज का त्योहार भगवान शिव के साथ देवी पार्वती के पुनर्मिलन का पर्व होता है. शिव और शक्ति के मिलन का समय होने के कारण यह अत्यंत ही शुभ दिन माना जाता है. इस दिन, देश के विभिन्न हिस्सों में देवी पार्वती की खूबसूरती से आच्छादित मूर्तियों को लेकर बड़े जुलूस निकाले जाते हैं. पार्वती की मूर्ति के साथ कई ऊंट और हाथी तीज जुलूस को और अधिक आकर्षक बनाते हैं. कुछ स्थानों पर हरतालिका तीज के अवसर पर भव्य मेलों का भी आयोजन किया जाता है.
हरतालिका तीज विशेष रूप से विवाहित महिलाओं द्वारा अत्यधिक उत्साह और जोश के साथ मनाई जाती है. कुछ स्थानों में परंपरा अनुसार विवाहित महिलाएं इस दिन उत्सव के लिए अपने माता-पिता के घर लौटती हैं. इस विशेष तीज पर महिलाएं नए वस्त्र और गहने पहनती हैं. इस अवसर के लिए हरा व लाल रंग अत्यंत शुभ माना जाता है. विवाहित महिलाएं अपने पति के कल्याण और लंबी उम्र के लिए तीन दिनों की अवधि के लिए कठोर उपवास रखती हैं. बिना खाए-पिए दिन बिताती हैं और भगवान एवं माता पार्वती का पूजन करती हैं. हरतालिका तीज के दिन व्रत का पालन करने वाली महिलाएं प्रात:काल जल्दी उठकर स्नान इत्यादि से निवृत होकर मंदिर जाती हैं और घर लौटने पर अपने पति के पैर छू कर आशीर्वाद ग्रहण करती हैं. सूर्यास्त से ठीक पहले, महिलाएं फिर से स्नान करती हैं और तैयार होती हैं. दोपहर में मुख्य पूजा अनुष्ठान शुरू होता है. भगवान शिव और देवी पार्वती की मूर्तियों की पूजा फूल, बिल्वपत्र और अगरबत्ती से की जाती है. पूरे दिन मंत्रों का पाठ किया जाता है और हरतालिका तीज व्रत कथा सुनाकर पूजा समाप्त की जाती है. सभी पूजा अनुष्ठानों को पूरा करने के बाद ही अगली सुबह उपवास खोला जाता है.
हरतालिका तीज महत्व
हरतालिका तीज व्रत का हिंदू महिलाओं के लिए बहुत महत्व रखता है. इस दिन वे एक समृद्ध घरेलू जीवन का आशीर्वाद पाने के लिए पूरे समर्पण भाव के साथ देवी पार्वती की पूजा की जाती है. अविवाहित लड़कियां भी अपने पति की पसंद की प्राप्ति के लिए यह व्रत रखती हैं. इसलिए इस व्रत को विवाहित और युवती दोनों ही महिलाएं कर सकती हैं. हरतालिका तीज का मुख्य उद्देश्य संतान के साथ-साथ वैवाहिक सुख की प्राप्ति होता है.
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