Hariyali Teej 2023: तीज पर सिंधारा का महत्व जानें किन बातों का रखें खास ध्यान जिससे बना रहेगा सौभाग्
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हरियाली तीज का त्योहार सिंधारा के रुप में भी जाना जाता है यह पर्व वैवाहिक जीवन की सुखद कामना के लिए किया जाता है. इस समय पर भगवान शिव एवं देवी गौरी की पूजा की जाती है. पंचांग के अनुसार हरियाली तीज का त्योहार हर साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है. इस वर्ष भी सावन की आने वाली तृतीया तिथि के दिन इसे हर्ष उत्साह के साथ मनाया जाएगा. इस समय पर कई बातों का ध्यान भी रखना जरूरी होता है. यह एक ऎसी रस्म है जो वैवाहिक जीवन को बनाए रखती है इसलिए हर बत पर ध्यान देने की जरुरत भी होती है.
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सौभाग्य का आशीर्वाद होता है सिंधारा
यह पर्व विशेष रूप से दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और पंजाब में मनाया जाता है. इसी के साथ परंपराओं एवं लोक मान्यताओं के अनुरुप इस दिन सिंधारा की रस्म भी होती है.
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यह दिन शादीशुदा महिलाओं और कुंवारी लड़कियों के लिए बेहद खास होता है. इस दिन महिलाएं सौभाग्य से संबंधित वस्त्र और साज सौंदर्य की वस्तुओं को धारण करती हैं. हरे रंग के वस्त्र हों या चूड़ियां सभी इस दिन की विशेषता होती है. इसी के साथ ही मेहंदी भी लगाती हैं. कुछ जगहों पर हरियाली तीज के दिन व्रत रखने की परंपरा है, वहीं कुछ जगहों पर इस दिन महिलाएं मौज-मस्ती करती हैं और तीज मेले का भी आयोजन किया जाता है. तीज के पर्व के दिन जूला जूलने का रिवाज भी है.
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तीज का दिन और उससे जुड़ी विशेष बातें
कई जगहों पर हरियाली तीज के दिन मायके से विवाहित बेटी और बहन के घर सिंधारा भेजा जाता है, जिसे मायके का आशीर्वाद माना जाता है. सिंधारा भेजते समय कुछ बातों का ध्यान अवश्य रखा जाता है जो उनके सौभाग्य को दीर्घायु प्रदान करता है. हरियाली तीज पर विवाहित महिलाओं को उनके मायके की ओर सिंधारा भेजा जाता है, जिसमें सुहाग का सामान, कपड़े और मिठाइयां होती हैं.
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कहा जाता है कि सिंधारा के माध्यम से माता-पिता अपनी बेटी को अखंड सौभाग्य और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं. अगर आप भी अपनी बेटी या बहन के घर सिंधारा भेज रहे हैं तो ध्यान रखें कि सिंधारा केवल सावन के महीने में ही भेजा जाता है. कई बार लोग व्यस्तता के कारण बाद में मिलने पर बेटी को सिंधारा दे देते हैं, जो कि धार्मिक ग्रंथों के अनुसार अनुकूल नहीं होता है.