हरियाली अमावस्या तिथि 2021 date:
हिंदी पंचांगानुसार, सावन की अमावस्या तिथि की शुरुआत 07 अगस्त, शनिवार की शाम 7:11 बजे से होगा। जो कि 08 अगस्त, रविवार की शाम 7:19 बजे तक रहेगा। स्नान तथा दान व पुण्य के लिए उदया तिथि की मान्यता है। इस प्रकार हरियाली अमावस्या 08 अगस्त, दिन रविवार को हीं है।
हरियाली अमावस्या के महत्व_
सावन की अमावस्या के दिन नदी या कुंड में स्नान और दान के अलावा भी कई कार्य किए जाते हैं। पितरण के आत्मा की तृप्ति के लिए इस दिन पूजा, पाठ, ब्रह्म भोज, दान , पुण्य आदि जरूर करना चाहिए। श्रावण अमावस्या में पेड़-पौधे की अवश्य कर पूजन की जाती है। यह दिन विशेषतः पीपल व तुलसी के पौधे की पूजन का होता है। हिंदू धर्म शास्त्रों के मुताबिक, पीपल के पेड़ में त्रिदेव का वास होता है। त्रिदेव का अर्थ ब्रह्मा, विष्णु, महेश से है। पूजा की समापन होने के बाद एक पौधे रोपने का भी प्रावधान है। हरियाली अमावस्या के मौके पर प्रत्येक वर्ष एक पेड़ लगाना अनिवार्य होता है। इस दिन खास कर पीपल, आम, बरगद, नीम, और आंवला के पौधे लगाए जाने चाहिए। इस प्रकार हरियाली अमावस्या से पर्यावरण संरक्षण का ज्ञान प्राप्त होता है। यह संदेश वृक्षों को बचाने की ओर इंगित करता है। ताकि पृथ्वी सदैव हरी भरी रहे।
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व्रत कथा_
एक बार की बात है किसी नगर के राजा की बहू ने एक दिन मिठाई चुरा कर खा ली। और बदले में एक चूहे पर दोष डाल दिया। यह सुनते हीं चूहा तमतमा गया और उसने यह प्रण ले लिया कि 1 दिन इसका सच राजा के सामने मैं लाकर रहूंगा। तभी किसी दिन राज्य दरबार में एक अतिथि पधारें। और वह राजमहल के अतिथि कक्ष में विश्राम करने गए। चूहे ने मौका हाथ लगते हीं उस अतिथि के कक्ष में रानी के वस्त्र रख दिया। सभी लोग प्रातः काल में उठ कर आपस में बात करने लगे कि अतिथि के कमरे में छोटी रानी के कपड़े कैसे मिले। इसकी जानकारी जैसे ही राजा तक पहुंची तो राजा ने रानी को घर से निकाल दिया।
रानी रोजाना संध्या काल में दीप जलाती, ज्वार बोती तथा पूजन करके गुड़धानी का प्रसाद बाटा करती थी। एक दिन शिकार करके लौट रहे राजा की नजर उस रानी पर पड़ी। राजा ने राजमहल आकर सब को बताया आज वृक्ष के नीचे कोई चमत्कारी चीज देखी है, झाड़ के पास जाकर देखा वहां दो दिये एक दूसरे से बातें कर रहे थें। उनके आपस के बीच की बातें थी- आज क्या-क्या खाया सबने, और कौन क्या है?
उनमें से किसी एक दिये ने बोला मेरे जान पहचान के अलावा आपका कोई नहीं है। आपने न तो मेरी पूजा की ओर ना ही मेरा भोग लगाया। ऐसा सुन कर अन्य दिये ने उससे पूछा ऐसी भी क्या बात हो गई? तभी वह दिया बोला कि मैं उस राजा के घर का हूं जिनकी बहु ने मिठाई चुरा कर खा ली थी। और बदले में किसी चूहे के ऊपर दोष डाल दिया था। उस चूहे को गुस्सा आया और उसने बदला लेने के भाव से रानी के वस्त्र को घर में आए अतिथि के कमरे में रख आया। और यह विवाद बन गया। तत्पश्चात राजा ने उस रानी को घर से निकल दिया। वो रानी मेरी रोज पूजा कर भोग लगाती थी। उसने हमेशा सुखी रहने का आशीष रानी को दिया था। फिर सारे दिए झाड़ से उतरकर घर आएं। फिर सबने रानी के पक्ष में बात रखी। और उनको दोषरहित साबित किया। यह पूरी घटना सुनकर राजा ने तुरंत रानी को वापस घर ले आया। और फिर सभी कुशलपूर्वक एक साथ रहने लगे।
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