हरतालिक तीज महिलाओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण और खाश त्योहारों में से एक माना जाता है । सुहागिन महिलाएं इस दिन पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती है, भगवान शिव और पार्वती की पूजा बड़े ही विधि विधान से करती है। और सौभाग्यवती होने का वरदान मांग भगवान शिव और पार्वती की चरणो में इस दिन को समर्पित कर देती हैं।
हिंदू धर्म के अनुसार एक सुहागिन महिला के लिए उसके सुहाग की सलामती उसके लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। इसी वजह से सुहागिन महिलाएं के लिए ये दिन बेहद खाश है वो इस दिन का इंतजार बड़े ही उत्साह से करती है। और इस दिन निर्जला व्रत रख , शिव पार्वती की पूजा कर पति के लंबी उमर की कामना के साथ इस दिन का समापन करती है ।
भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीय तिथि को हरतालिक व्रत रखा जाता है।ये त्योहार विशेषतौर से उतर भारत में मनाया जाता है। अर्थात यह त्योहार उत्तर भारत में ज्यादा प्रचलित है। इस दिन मायके से जुड़ी एक बड़े ही खाश रस्म को भी मायके वालों के द्वारा निभाया जाता है इस दिन सुहागिन महिला के मायके से महिला के लिए कपड़े, फल , फूल, मिठाई और भी तमाम चीजें उनके इच्छा के अनुसार भेजी जाती है। आइए जानते है इस व्रत के बारे में कुछ महत्वपूर्ण और खाश बाते ।
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हरतालिका तीज शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 8 सितंबर के दिन बुधवार को देर रात 02 बजकर 33 मिनट पर हो रहा है और 09 सितंबर 2021 को रात 12 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगा.
इस बार हरतालिका तीज के दिन दो मुहूर्त है एक सुबह के समय में और दूसरा प्रदोष काल में सूर्यास्त के बाद आता है पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 03 मिनट से सुबह 08 बजकर 33 मिनट पर होगा. इसके अलावा प्रदोष काल में शाम 06 बजकर 33 मिनट से रात 08 बजकर 51 मिनट तक रहेगा.
हरितालिका व्रत पूजा विधि
हिंदू धर्म में पूजा विधि से करने का अपना एक अलग ही महत्व है कहते है की विधि विधान से पूजा करने से मनोकामना अवश्य पूरी होती है। हरितालिका तीज सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण त्योहार है और इस दिन हर महिला अपनी मनोकामना पूर्ण होने की कामना करती है क्योंकि ये उसके सुहाग के लंबे उम्र के लिए होता है तो इस दिन हर महिला को विधि विधान का पूरा ध्यान रखना चाहिए।
यह पूजा प्रदोष में होती है। इस दिन सुबह उठ के स्नान करे। नहाते वक्त पवित्रता का पूरा ख्याल रखे , नए वस्त्र धारण कर पूजा का संकल्प पुरे मन से करे। उसके बाद पूजा स्थल की साफ सफाई बड़े ही स्वच्छता के साथ करे इस स्थान पे गंगा जल का छिड़काव भी कर सकते है जिससे वो स्थान शुद्ध हो जाए । उसके उपरांत केले के पते पर मिट्टी से बने शिव और पार्वती और गणेश की स्थापना करे उसके उपरांत उनकी पूजा अर्चना बड़े ही श्रद्धा से करे माता पार्वती को सुहाग से जुड़े समान अवश्य भेट करे जैसे सिंदूर ,चूड़ी, साड़ी, चुन्दरी, आलता,काजल, बिंदी इत्यादि। शाम के समय व्रत कथा अवश्य सुने। रात में जागरण का बहुत महत्व है इसलिए आप रात को जागरण करे और अगली सुबह मुहूर्त के अनुसार व्रत का परण कर भगवान शिव से सौभाग्यवती का वरदान मांग व्रत की समाप्ति करे।
हरतालिका व्रत का महत्व
सुहागिन महिलाओं के लिए ये व्रत बेहद ख़ास है यह व्रत वो अपने पति के लंबे उम्र के लिए रखती है।इसके अलावा कुंवारी लड़कियां भी इस व्रत को मनचाहे पति के लिए रखती है । इस व्रत को रखने के पुण्य से घर में सुख शांति और समृद्धि आती है।
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