हिंदु धर्म में हनुमान जी की आराधना और पूजा को हर जगह विशेष उल्लेख और महत्व दिया गया हैं। प्राचीन ग्रंथों के मुताबिक पवनपुत्र की पूजा करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। सिर्फ इसलिए नहीं की ये उर्जा और शक्ति का प्रतीक माने जाते हैं बल्कि इसलिए भी क्योकिं वे सभी बुराईयों से लड़ने में सक्षम हैं। हमारे देश में बालाजी के अनेकों सिद्ध मंदिर हैं। मगर राजस्थान के दौसा जिले में स्थित, 1000 साल पुराना मेंहदीपुर बालाजी के नाम से जाना जाने वाला यह मान्यता प्राप्त मंदिर। हनुमान जी को समर्पित हैं जो अपनी चमत्कारी शक्ति की वजह से विश्व भर में काफी प्रसिद्ध हैं। बालाजी का यह मंदिर दो बहुत ही सुरम्य पहाड़ियों के बीच की घाटी में स्थित हैं जिसके कारण यह घाटा मेहन्दीपुर भी कहलाता हैं। माना जाता हैं कि अगर आपके ऊपर किसी नकारात्मक शक्ति या प्रेतबाधा का साया हैं तो यहां आकर पीड़ित लोगों को अति शीघ्र ही मुक्ति मिल जाती हैं। मान्यता हैं कि बालाजी की पूजा अर्चना करने से व्यक्ति अपने अंदर की एवं बाहर की सभी बुराईयों पर जीत हासिल कर लेता हैं।
स्वंयभू हैं केसरी नंदन की यह बाल रूप की प्रतिमा:-
बालाजी का इस मंदिर की एक विशेषता यह हैं कि यहां स्थित प्रतिमा किसी के द्वारा स्थापित नहीं करवाई गई हैं। बल्कि हनुमान जी के बाल रूप की यह मूर्ति स्वंयभू हैं। एवं इसी प्रतिमा को प्रधान मानकर बाकि मंदिरों का निर्माण किया गया हैं। बाला जी की मूर्ति में छाती के बाये तरफ एक छोटा सा छेद है, जिसमे से हमेशा पानी की एक पतली धारा बहती रहती है। यह जल बालाजी के चरणों तले स्थित कुण्ड में इकठ्ठा करके भगवान बाला जी के चरणों में रख कर लोगो को चरणामृत के रूप में वितरित किया जाता है और सभी लोग इसे प्रसाद की तरह लेते है। यह मूर्ति पहाड़ के अखण्ड भाग के रूप में मंदिर की पिछली दिवार का भी काम करती हैं। मंदिर में तीन देवता विराजमान हैं, जिन्हे अलग – अलग प्रकार का प्रसाद चढ़ाने को काफी महत्व दिया जाता हैं। बालाजी महाराज को लड्डू पसंद हैं, भैरव बाबा को उड़द और प्रेतराज को चावल का भोग लगाया जाता हैं।
अनोखी हैं यह बात:-
आमतौर पर जब आप किसी मंदिर में जाता हैं, तो दर्शन करने के बाद आप प्रसाद लेकर घर आते हैं मगर मेहंदीपुर बालाजी के इस मंदिर यह कार्य कदापि नहीं करना चाहिए। नहीं तो आपके ऊपर काला साया आ सकता हैं।
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में वर्जित ये कार्य:-
मंदिर के पास भूल कर इन कामों को नहीं करना चाहिए , ये काम वहाँ पर सख्त रूप से वर्जित है। जो कि निम्न प्रकार से है-
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- जब कभी भी आप मंदिर से बाहर निकले तो पीछे मंदिर की तरफ मुड़ कर नहीं देखना चाहिए।
- मंदिर के आस पास किसी से बात नहीं करनी चाहिए और न ही किसी को छूने की कोशिश करनी चाहिए।
- अगर आप अपने घर जा रहे है, तो न हीं वहा के प्रसाद और न ही वहा का कोई भी खाने वाला सामान कुछ भी नहीं ले जा सकते है. ये वहा पर वर्जित है।
- अगर आप गावं से निकल रहे है तो सारे खाने के पैकेट या पानी की बोतल इत्यादि को वही पर छोड़ कर बाहर जाए।
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