हमारे हिंदू धर्म में सुंदरकांड का पाठ करना बहुत ही शुभ माना गया है। कहते है कि सनातन धर्म के अधिकतर लोग सुंदरकांड का पाठ अपने घरों में कराते हैं। मान्यता है कि सुंदरकांड के पाठ को खुद करने से काफी लाभ होता है, लेकिन अगर आप को नहीं आता है तो आप किसी अन्य को जो सुंदरकांड का पाठ कराते है उन्हें सप्ताह में एक बार अपने घर पर बुलाकर सुंदरकांड का पाठ जरूर कराना चाहिए।सुंदरकांड महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण पर आधारित तुलसीकृत महाकाव्य रामचरित मानस का पंचम सोपान है।
तो आइए आज जानते है कि सुंदरकांड के पाठ करने से भक्तों का कल्याण कैसे होता है।
1. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सुंदरकांड का पाठ करने से भक्तों की सभी मनोकामनाओं पूरी होती है और साथ ही साथ जीवन की सारी परेशानियां दूर होती है।
2. इस पाठ को करने से भूत, पिशाच, यमराज, शनि राहु, केतु, ग्रह-नक्षत्र आदि सभी के संकट दूर होते है।
3. कहते है कि इस पाठ को पढ़ने से हनुमान जी बहुत जल्द अपने भक्तों से प्रसन्न हो जाते है और हमेशा हनुमान जी की कृपा बना रहता है जिसे उनका जीवन सुख में रहता है। 4. सुंदरकांड का पाठ करने से लोगों में सकारात्मक और विचारात्मक ऊर्जा का वास होता है। आत्मविश्वास एवं इच्छा शक्ति मजबूत और मन में शांति बनी रहती है। जिससे उसे हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है और जीवन में आगे बढ़ता है।
5. सुंदरकांड का पाठ साप्ताहिक करने से गृह क्लेश दूर होता है और परिवार में खुशियां बढ़ती है।
6. सुंदरकांड पाठ लगातार करने से जीवन में सैकड़ों तरह की समस्याओं का समाधान तुरंत हो जाता है।
पारिवारिक घर में सुंदरकांड का पाठ सप्ताह में एक बार जरूर कराना चाहिए। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भी सभी परिस्थितियों में सुंदरकांड पाठ करने की सलाह दी जाती है।
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